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नाचे उस पर श्यामा नीरज-नील नयन, बिम्बाधर जिस युवती के अति सुकुमार; उमड़ रहा जिसकी आँखों पर मृदु भावों का पारावार, बढ़ा हाथ दोनों मिलने को चलती प्रकट प्रेम-अभिसार, प्राण-पखेरू, प्रेम-पीजरा, बन्द, बन्द है उसका द्वार ! भेरी झररर-झरर, दमामें, घोर नकारों की है चोप, कड़-कड़-कड़ सन्-सन् बन्दूकें, अररर अररर अररर तोप, धूम-धूम है भीम रणस्थल, शत-शत ज्वालामुखियाँ घोर आग उगलती, दहक दहक दह कॅपा रहीं भू-नभ के छोर। -फटते, लगते है छाती पर घाती गोले सौ-सौ बार, 3 -- १०७