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गाता हूँ गीत मैं तुम्हें ही सुनाने को छलछल आँखें, ) हेरते हो मेरे मुख की ओर एक-टक । बदल जाता है भाव, पैरों पड़ता हूँ। किन्तु क्षमा नहीं मांगता नहीं करते हो रोष। पुत्र हूँ तुम्हारा मै, ऐसी प्रगल्भता और कोई कैसे कहो सहन कर सकता है ? तुम मेरे प्रभु हो, प्राण-सखा मेरे तुम कभी देखता हूँ- "तुम मैं हो, मैं तुम बना, वाणी तुम, वीणापाणि मेरे कण्ठ में प्रभो, ऊर्मि से तुम्हारी बह जाते है नर-नारी।" सिन्धुनाद हुकार, सूर्य-चन्द्र में वचन, में मन्द-मन्द पवन तुम्हारा पालाप है; सत्य है यह सब कथा, 3 & , 3

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