यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

अनामिका कॉपत्ता है वासन्ती वात, नाचते कुसुम-दशन तरु-पात प्रात, फिर चिधुप्लावित मधु-रात, पुलकप्लुत आलोड़ित सागर । २८.३.१६२५.