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प्याला (गीत) मृत्यु-निर्माण प्रारण-नश्वर कौन देता प्याला भर भर ? मृत्यु की बाधाएँ, बहु द्वन्द पार कर कर जाते स्वच्छन्द तरङ्गों में भर अगणित रङ्ग, जङ्ग जीते, मर हुए अमर । गीत अनगिनित, नित्य नव छन्द विविध शृङ्खल, शत मङ्गल-बन्द, विपुल नव-रस-पुलकित आनन्द मन्द मृदु झरता है झर झर । नाचते तारा-मण्डल, उठ गिरते प्रतिपल, धरा घिर घूम रही चञ्चल, काल-गुणत्रय-भय-रहित समर । , ग्रह, पलक में -