एक दिन हम लोगों ने एक राजा की ओर उसकी सभा के सभासदों को तमाशा दिखाया। देखनेवाले बहुत ख़ुश हुए। मुझे बड़ी शाबाशी मिली। जब हम अपने होटल को लौट आए तब, कुछ देर बाद, एक सज्जन हमसे मिलने आए। वह मुझसे अच्छी अँगरेज़ी बोलते थे। उन्होंने कहा--"तुम देर तक ध्यानस्थ नहीं रहते। तुम्हें चित्त की एकाग्रता बढ़ानी चाहिए। तुम्हारे लिये इसकी बड़ी ज़रूरत है। तुम मांस बहुत खाते हो। मांस खाना मानसिक शक्तियों की वृद्धि के लिये हानिकारी है। तुम उपवास भी यथेष्ट नहीं करते, ओर न प्राणायाम द्वारा अपने मन और शरीर को शुद्ध हो करते हो। इसमें संदेह नहीं कि तुममें एक अद्भुत शक्ति है, पर अफसोस! तुम उसका सदुपयोग करना नहीं जानते।"
इसके बाद मैंने देखा कि वह आगंतुक व्यक्ति अधर में ऊपर उठ गया, और बिना किसी आधार के जमीन से तीन-चार फ़ीट ऊपर हवा में ठहरा हुआ, हमारी तरफ़ देखकर चुपचाप मुस्किराता रहा। मैंने हिंदोस्तान में अनेक अद्भुन-अद्भुत बातें देखी। उनमें से यह भी एक था। एक बार हमने अपने एक नौकर को, भारतवर्ष में, उसकी इच्छा के प्रतिकूल, वरख़ास्त कर दिया। बंबई में जब हम लोग गाड़ी पर सवार हुए, तब वह हमें पहुँचाते आया। उसे मैंने स्टेशन पर ही छोड़ दिया। पर जब हम लोग ठिकाने पर पहुँचे, ओर वहाँ स्टेशन पर गाड़ी खड़ी हुई, तब उसी आदमी ने आकर हमारी गाड़ी का दरवाजा खोला! यह