एक त्रिकोण खींचा। उधर दूसरे कमरे में ज़ानसिग की स्त्री
ने ये ही शकलें स्लेट पर खींच दीं। मैंने अपनी स्लेट पर पक्षी का एक चित्र बनाया। इस पर ज़ानसिग की स्त्री दूसरे कमरे से बोल उठी--"मैं चित्र खींचना नहीं जानती, फिर किस तरह मैं स्लेट पर चिड़िया बना सकती हूँ।"
मैंने इन लोगों की और भी परीक्षा करने का निश्चय किया। इसलिये मैंने उन्हें अपने मकान पर खाना खाने के लिये निमंत्रण दिया। निमंत्रण उन्होंने कबूल कर लिया। यथा-समय वे मेरे यहाँ आए। मकान पर मैंने और कई आदमियों को बुला रक्खा था। खाना खा चुकने पर हम लोग बैठक में आए। वे दोनो पति-पत्नी अलग-अलग कमरों में कर दिए गए। मैंने ज़ानसिग को अनेक चीज़ें दिखलाई, अनेक नाम बतलाए, अनेक संख्याएँ लिख-लिखकर दी। मेरा दिखलाना या देना था कि उधर उसकी स्त्री ने उसके नाम अपनी स्लेट पर लिख दिए। मेरे मित्र ने तीन नाम, एक दूसरे के नीचे लिखकर, ज़ानसिग को दिए। उसकी स्त्री ने वे ही नाम, उसी क्रम से, स्लेट पर लिख दिए। मेरे मित्र ने ज़ानसिग को जेब-घड़ी की एक छोटी-सी चाभी दी। उस पर बनानेवालें का नाम 'हंट', बहुत छोटे-छोटे अक्षरों में, था। वह मुश्किल से पढ़ा जा सकता था। उसकी स्त्री ने दूसरे कमरे से आवाज़ दी--यह घड़ी की चाभी है। इसका नाम है 'हंट'! आठ-आठ संख्याओं की कई सतरें रलेट पर लिखकर ज़ानसिग को