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(तृतीय आवृत्ति पर)
हर्ष की बात है, हमारे द्वितीय संस्करण के निवेदन के अनुसार यू॰ पी॰ की टेक्स्ट-बुक-कमेटी ने इस पुस्तक को अँगरेज़ी स्कूलों की आठवीं कक्षा के लिये मनोनीत किया है। क्या अन्य प्रांतों की टेक्स्ट-बुक-कमेटियाँ, हिंदी-साहित्य सम्मेलन, दक्षिण भारतीय हिंदी-प्रचार-सभा और भिन्न-भिन्न प्रांतों के गुरुकुल आदि भी ऐसा ही करने की कृपा करेंगे? मनोरंजक होने के अतिरिक्त हिंदी के सर्वश्रेष्ठ गद्य-लेखक, आचार्य द्विवेदीजी महाराज की ललित लेखनी द्वारा लिखी हुई होने के कारण यह पुस्तक बालकों को हिंदी-भाषा सिखलाने के लिये अद्वितीय सिद्ध हुई है।
१ । ७ । ३४ | दुलारेलाल |