( १ ) हमारे कितने विवाह हुए हैं?
( २ ) हमारी कितनी स्त्रियाँ इस समय जीवित हैं?
( ३ ) हमारे संतति कितनी हुईं--कितने लड़के, कितनी लड़कियाँ?
( ४ ) उसमें से कितनी इस समय विद्यमान हैं?
हजार प्रयत्न करने पर भी योगशास्त्रीजी इन प्रश्नों का ठीक-ठीक उत्तर न दे सके। जब उनके उत्तर बहुत ही अंड-बंड होने लगे, तब हमने उनसे कहा कि आपके इतने ही उत्तर काफ़ी हैं। और भी हमने कई प्रश्न किए। पर वह बराबर फ़ेल ही होते गए। उस समय उनके मन की क्या हालत हुई होगी, यह तो वही जानते होंगे, पर अपनी असामर्थ्य के प्रमाण में उन्होंने हमारा रुपया वापस कर दिया। हमारे बहुत कहने पर भी उन्होंने उसे न लिया। इस असामर्थ्य का कारण उन्होंने यह बतलाया कि आज हमने सुबह से कई आदमियों के प्रश्नों का उत्तर दिया है। इससे हमारी अंतर्ज्ञान-शक्ति क्षीण हो गई है। उन्होंने हमसे वादा किया कि उसी दिन रात को आठ बजे वह हमारे मकान पर पधारेंगे, और हमारे जन्म-पत्र को देखकर हमारे प्रश्नों का उत्तर देंगे। रात को ११ बजे तक हमने उनका रास्ता देखा,पर आप नहीं पधारे। दूसरे दिन सुबह हमको ख़बर मिली कि योगशास्त्रीजी महाराज रात को १२ बजे की रेल से भूपाल के लिये रवाना हो गए!
परंतु सबकी हालत ऐसी नहीं होती, सबकी विद्या उत्तर देते-देते क्षीण नहीं हो जाती। जो लोग थियॉसफ़ी-समाज की