चकित हुए, जैसे हम लोग पहले ही हो चुके थे। उनको भी कोई चालाकी ढूँढ़े न मिली।
"यदि कोई मुझे इस बात को समझा दे कि किस तरकीब से-किस शक्ति से-यह लड़का आकाश में निराधार रह सकता है, तो मैं उसका बहुत कृतज्ञ होऊँ। मैं अपना नाम और पता और जिन साहबों और मेमों ने इस तमाशे को देखा है, उनके भी नाम, पते-समेत, देने को तैयार हूँ। ज़रूरत पड़ने पर मैं उस ब्राह्मण का भी पता बतला सकता हूँ।
"मेरे एक लड़का है। वह इँगलैंड में है। उसे मैंने इस तमाशे का हाल लिखा। मुझ पर उसका बड़ा प्रेम है मेरी शुभकामना की इच्छा से उसने मुझे लिखा—यदि मैं होता, तो ऐसे तमाशे देखने न जाता, क्योंकि बहुत संभव है, उस ब्राह्मण ने देखनेवालों पर भी अपना असर डाल दिया हो। ओर, इस तरह उसके वंश में आ जाना अच्छा नहीं। यदि उसने ऐसा न किया हो, तो सचमुच आश्चर्य की बात है। परंतु फ़ोटोग्राफ़ लेने के निर्जीव केमरे पर आत्मविद्या का असर नहीं पड़ सकता। अतएव मेरे लड़के की यह कल्पना ठीक नहीं। इस तमाशे के जो चित्र लिए गए हैं, वे ठीक वैसे ही हैं, जैसा कि हम लोगों ने उसे अपनी आँखों देखा है।
"उस ब्राह्मण का कथन है कि मैंने यह विद्या थियॉसफ़िकल सोसाइटी के स्थापक कर्नल आलकाट से सीखी है। इसके चार-पाँच वर्ष पहले तक वह आकाश में उड़ती हुई चिड़ियों की