इसके बाद साहब बहादुर ने अपने हिंदोस्तानी मित्र से इस विषय में बहुत कुछ वार्तालाप किया, और इस बात को साफ़-साफ़ स्वीकार किया कि आध्यात्मिक बातों में इस देश ने जितनी उन्नति की है, उतनी और किसी देश ने नहीं की।
अक्टूबर, १९०६
२––आकाश में निराधार स्थिति
योगियों को अनेक प्रकार की अद्भुत-अद्भुत सिद्धियाँ प्राप्त हो जाती हैं। योगशास्त्र में लिखा है कि वे आकाश में यथेच्छ गमन कर सकते हैं; जल में स्थल की तरह दोड़ सकते हैं; पर-काय-प्रवेश कर सकते हैं; अंतर्द्धान हो सकते हैं; और दूर देश या भविष्यत् की बात हस्तामलकवत् देख सकते हैं। पर इस समय, इस देश में, इस तरह के सर्वसिद्ध योगी दुर्लभ हैं। यदि कहीं होंगे, तो शायद हिमालय के निर्जन स्थानों में योग-मग्न रहते होंगे।
अमेरिका से निकलनेवाली एक अँगरेज़ी मासिक पुस्तक को एक दिन हमने खोला, तो उसके भीतर छपे हुए काग़ज़ों का एक ख़ासा पुलिंदा मिला। उसमें कई तरह के नियम-पत्र, नमूने और तसवीरें इत्यादि थीं। उनको अमेरिका की एक आध्यात्मिक सभा ने छपाया और प्रकाशित किया था। बहुत करके यह सभा कोई कल्पित सभा है। इन काग़ज़ों में लिखा था कि