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अंध-लिपि


नई जिल्दें उसमें रक्खी जाती हैं। ग्रेट-ब्रिटेन में सब मिलाकर ३८,००० अंधे हैं। उनमें से ५०० अंधे इस पुस्तकालय के मेंबर हैं। और, कोई एक सौ आदमी अंध लिपि में पुस्तकें नकल करने में लगे हुए हैं। जो लोग इस पुस्तकालय के मेंबर होते हैं, उन्हें साल में ३० रुपए के क़रीब चंदा देना पड़ता है। हरएक मेंबर एक महीने में ८ जिल्द पुस्तकें पा सकता है। परंतु जो मेंबर बहुत ग़रीब हैं, उनके लिये चंदे का निर्ख ४ रुपए साल तक कम कर दिया गया है। ग़रीब अंधे ४ रुपए साल देने से महीने में ४ जिल्दें पढ़ने के लिये पाते हैं।

इँगलैंड में अंधों के लिये स्त्रियाँ अक्सर पुस्तकें नकल करती हैं। इसे वे पुण्य का काम समझती हैं। और, सचमुच ही यह पुण्य का काम है। धन-संपन्न विलायती स्त्रियों को हास-विलास, घूमने-फिरने और नाच-तमाशा देखने या दावत उड़ाने के सिवा और काम बहुधा कम रहता है। अतएव उनमें से जो परोपकार करना और दीन-दुखियों को सहायता देना चाहती हैं, वे अंधों की मदद करती हैं। वे अच्छी-अच्छी पुस्तकें नक़ल करके अंधों के पुस्तकालय में रखने के लिये भेजती हैं। प्रतिदिन सिर्फ़ दो घंटे इस काम में खर्च करने से एक साल में चार-पाँच जिल्दों की एक खासी पुस्तक नक़ल हो जाती है। अंध-लिपि सीखने में न बहुत समय दरकार है और न बहुत मेहनत। कुछ ही हफ़्ते थोड़ा-थोड़ा अभ्यास करने से लोग इस लिपि में अच्छी तरह पुस्तकें नक़ल करने लगते हैं।