मिट्टी, लोहा, कोयला और चूना इत्यादि पदार्थों का होना भी आवश्यक है, क्योंकि जितने प्राणी हैं, उनके शरीर में प्रायः
ये ही पदार्थ पाए जाते हैं, स्पेकट्रास्कोप से यह जाना गया है
कि ग्रहों में ये सब पदार्थ हैं, इसलिये उनमें जीवधारी रह सकते हैं। ग्रहों में जल, वायु और उष्णता का होना भी विद्वानों ने सिद्ध किया है। इस बात को कुछ अधिक विस्तार से हम लिखते हैं। जितने ग्रह हैं, सबमें दो प्रकार की उष्णता रहती है। एक तो स्वयं उनकी उष्णता और दूसरी वह जो उन्हें सूर्य से मिलती है। पहले जैसे पृथ्वी जलते हुए लोहे के गोले के समान उष्ण थी, वैसे ही और-और ग्रह भी थे। पृथ्वी का ऊपरी भाग धीरे-धीरे शीतल हो जाने से प्राणियों के रहने योग्य हो गया है; परंतु बृहस्पति, शनैश्चर, यूरेनस और नेपच्यून अभी तक अत्यंत उष्ण बने हुए हैं। इसलिये उन पर जीवधारियों का होना कम संभव जान पड़ता है। शेष ग्रहों में से शुक्र, मंगल और बुध का ऊपरी भाग शीतल हो गया है। उनकी दशा वैसी ही है, जैसी पृथ्वी की है। इसलिये उन पर जीवधारी और वनस्पति रह सकते हैं। सूर्य से जो उष्णता इन तीन ग्रहों को मिलती है, उसका परिमाण न्यारा-न्यारा है। पृथ्वी की अपेक्षा मंगल को आधी उष्णता मिलती है; परंतु शुक्र को उसकी दूनी और बुध को उसकी सातगुनी मिलती
है। उष्णता के संबंध में एक बात और विचार करने योग्य है। वह यह कि जहाँ जितनी वायु अधिक होती है, वहाँ उतनी ही
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अद्भुत आलाप