पर या दुर्दिन के समय वह बातचीत करना नहीं चाहता। उस
समय केवल चुपचाप पड़े रहना ही उसे अच्छा लगता है। यह
अक्सर देखा गया है कि अधिक बातचीत करने से वह थक जाता है। कारण यह कि भाषा मानसिक व्यापार है, और पशुओं में मानसिक शक्ति कम है। इसलिये थोड़ा-सा भी मानसिक परिश्रम करने से वह थक जाता है।
डान शिकारी जाति का कुत्ता है। वह बड़ा ही सुदर है। उसकी आँखें प्रतिभा-व्यंजक है। सच पूछिए, तो उसकी आँखों से मानवीय भाव साफ-साफ झलकता है, और उसको गति तथा आचरण इस बात को अच्छी तरह प्रकट करते हैं कि वह मनुष्यों और कुत्तों का मध्यवर्ती जीव है।
डॉक्टर बूसलर के व्याख्यान का यही सरांश है। व्याख्यान के अंत में डॉक्टर साहब ने अपनी कही हुई बातों को प्रमाणित करने के लिये सब लोगों को डान के दर्शन कराए, और भरी सभा में उसकी परीक्षा ली। पहले उससे पूछा गया कि तुम्हारा नाम क्या है? उसने फौरन ही गभीर स्वर से उत्तर दिया--"डान।" इसके बाद परिष्कृत जर्मन-भाषा में डॉक्टर बूसलर और डान के बीच निम्न-लिलित प्रश्नोत्तर हुए---
बूसलर--"तुम्हें कैसा जान पड़ता है?"
डान--"भूख लगी है।"
बूसलर--"क्या तुम कुछ खाना चाहते हो?"
डान--"हाँ, चाहता हूँ।"