यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
अदल-बदल :: १०१
 


फीस का सवाल कभी उठे ही नहीं।' वकील साहब ने मायादेवी की ओर घूरकर देखा, फिर हंस दिया।

मायादेवी ने कहा--'फीस की बात बार-बार क्यों उठाते हैं? आप सिर्फ कानून की बात कीजिए।'

'कह चुका कि कानून आपके हक में है, अब आप यह विचार लीजिए कि आप क्या अपने पति से विच्छेद करने पर आमादा हैं?'

'मैं बिलकुल आमादा हूं।'

'अच्छी तरह सोच लीजिए श्रीमतीजी, आगे-पीछे की सभी बाधाओं पर विचार कर लीजिए।'

'और बाधा क्या है?

'आपके पतिदेव उज्र कर सकते हैं।'

'मैं उनका कोई उज्र न सुनूंगी।'

'आपकी सन्तान का भी प्रश्न है।'

'मुझे सन्तान से कोई वास्ता नहीं।'

अब मालतीदेवी ने बीच में उन्हें रोककर कहा--'ठहरिए डाक्टर साहब, मैं आपसे एक प्रश्न करना चाहती हूं--क्या आप श्रीमती मायादेवी से विवाह करने को तैयार हैं?'

डाक्टर उल्झन में पड़ गए। उन्होंने ज़रा धीमे स्वर में वकील साहब से पूछा--'आपका क्या ख्याल है कि इसमें मुझे कुछ बाधा होगी?'

'बहुत बड़ी बाधा हो सकती है। पहली बात तो यह है कि आपको अपनी पूर्व पत्नी का त्याग करना होगा।'

'यह क्या अत्यन्त आवश्यक है?'

'अनिवार्य है।'

'परन्तु यदि वह इन्कार करे?'

'तो आपके लिए दो मार्ग हैं। आप या तो उन्हें दोषी ठहराएं