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अदल-बदल :: ६९
 

पर जबरदस्ती लादा हुआ बोझ है, अब समय आ गया है कि स्त्रियां उसे उतार फेंकें।'

सेठजी ने तपाक से कहा---'अजी गोली मारिए, पतिव्रत धर्म भला अब संसार में है ही कहां? यदि हजार-दो हजार में कहीं एक में पतिव्रत धर्म दीख पड़ा तो उसकी गणना नहीं के समान है।'

इस पर डाक्टर ने छिपी नजर से मायादेवी की ओर देखकर कहा---'आपने शायद पतिव्रत धर्म पर ठीक-ठीक विचार नहीं किया। पतिव्रत धर्म का सम्बन्ध और स्वरूप, वह आध्यात्मिक पारलौकिक भावना है कि जिसका तारतम्य जन्म-जन्मान्तरों तक हिन्दू-संस्कार में है, हिन्दू स्त्री जब तक यह समझती रहेगी कि जिस पति से मेरा सम्बन्ध हुआ है वह जन्म-जन्मान्तर संयोग है, और जन्म-जन्मान्तर तक रहेगा, तो पतिव्रत धर्म की रूपरेखा गम्भीर हो जाती है।'

'परन्तु हजरत, आप एक बात मत भूलिए। स्त्री-पुरुष का सम्बन्ध कामात्मक है---प्रेमात्मक नहीं। क्योंकि प्रेम और काम दोनों साथ-साथ नहीं रह सकते।'

'यह आपने खूब कही, भला प्रेम और काम दोनों साथ-साथक्यों नहीं रह सकते? कदाचित मैं एक डाक्टर की हैसियत से इस विषय को समझाने में अधिक सफल हो सकूं?'

'जरूर-जरूर, सेठजी ने आग्रहपूर्वक कहा।

मायादेवी ने हंसकर कहा---'और मैं इस सम्बन्ध में आपको अपना प्रतिनिधि बनाती हूं।'

'धन्यवाद!' डाक्टर ने हंसकर कहा। फिर उसने गम्भीर भाव से कहना प्रारम्भ किया---'यदि इस सम्बन्ध में वैज्ञानिक दृष्टि- कोण से विचार किया जाए तो आपका यह कहना कि प्रेम और काम साथ-साथ नहीं रह सकते, गलत प्रमाणित होगा। यह सिद्धान्त भी ठीक नहीं है कि स्त्री-पुरुष का सम्बन्ध कामात्मक है,