'बीमारी क्या है?'
'आप इतने बड़े डाक्टर हैं, पता लगाइए!'
'नहीं लगा सकता मायादेवी, अब आप ही मदद कीजिए।'
'आपकी डाक्टरी को ज़ंग लग गई क्या?'
'ज़ंग ही लग गई समझिए, आप हैं ही ऐसी कि देखते ही आदमी की अक्ल पर पत्थर पड़ जाते हैं!'
'अच्छा ही है, मगर मैं परेशान हूं!'
'किससे?'
'बीमारी से और किससे!'
'लेकिन हुजूर, बीमारी क्या है?'
'रातभर नींद नहीं आती।'
'वाह, इस बीमारी का तो मैं स्पेशलिस्ट हूं। मगर यह कहिए कि आपके दिल में कुछ अनोखे-अनोखे खयाल तो नहीं आते?'
'अनोखे खयाल?'
'जी हां, जिनमें दिल की उमंगें उमड़ती हों, बढ़े-चढ़े हौसले हों, जीवन का भरपूर सुख लेने, दुनिया को जी भरकर देखने के इरादे हों।'
'हां, हां आते हैं, परन्तु यह भी कोई बीमारी है?'
'बड़ी भारी बीमारी है, मगर यह कहिए मायादेवी, इस भैंसे के साथ आपकी कैसे पटती होगी। माशाअल्ला, आप एक अप- टुडेट, ऊंचे खयाल की स्मार्ट लेडी हैं, ऐसा मालूम होता है जैसे आपका जन्म खुश होने और खेलने-खाने के लिए ही हुआ हो। लेकिन बुरा मत मानिए मायादेवी, मास्टर साहब अजब बागड़- बिल्ला--मेरा मतलब आपके लायक तो वे किसी हालत में नहीं मालूम होते।'
'ओफ, आप यह क्या कह रहे हैं?'
'श्रीमतीजी, स्त्री का जन्म प्रेम के लिए हुआ है। जो स्त्री प्रेम