कायम हो जाएगा तो स्त्रियों की अपेक्षा पुरुषों ही का तलाक अनिवार्य बन जाएगा। बिना तलाक की स्थापना के पुरुष एक मिनट भी तो 'एक पत्नीव्रत' को सहन नहीं कर सकता।'
'क्यों नहीं कर सकता?'-इतनी देर बाद सेठजी ने मुंह खोला।
'इसलिए कि वह अपने लम्पट स्वभाव से लाचार है। 'एक पत्नीव्रत' का अर्थ ही यही है कि जब तक पत्नी है तब तक दूसरी स्त्री उसकी पत्नी नहीं बन सकती। अब यदि वह दूसरी स्त्री पर अपना अधिकार कायम रखना चाहता है तो उसे एकमात्र तलाक ही का सहारा रह जाता है। बिना तलाक दिए वह नई नवेलियों का, जीवनभर आनन्द नहीं उठा सकता।'
सेठजी ने जोर से हंसकर कहा–'बात तो पते की कही । हमी को देखो, अपनी बुढ़िया को घसीटे लिए जा रहे हैं । गले में चिपटी पड़ी है। मरे तो दूसरी शादी का डौल करें।'
'जब तलाक चल गया तो मरने की जरूरत ही न रही साहेब। तलाक दीजिए-और दूसरी शादी कीजिए।'
'और वह स्त्री ?
'वह भी दूसरी शादी करे।'
'बाह ! तो यों कहो कि तलाक का मसला—अदल-बदल का मसला है। अर्थात् बीबी बदलौवन ।'
'बेशक, मगर इसकी जड़ में दो बड़ी गहरी बुराइयां हैं। एक तो यह कि हमारे गृहस्थ में जो पति-पत्नी में गहरी एकता- विश्वास और अभंग सम्बन्ध कायम है-वह नष्ट हो जाएगा। पति-पत्नी के स्वार्थ भिन्न-भिन्न हो जाएंगे। और दाम्पत्य-जीवन छिन्न-भिन्न हो जाएगा।'
'और दूसरा ?'
'दूसरा इससे भी खराब है। आप जानते हैं कि पुरुष स्त्री के