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अतीत-स्मृति
 

मिश्र की कोई साढ़े तीन हजार वर्ष पुराना कब्रों में नील, इमली की लकड़ी और ऐसी ही अन्य कई चीजें मिली हैं, जो केवल भारतवर्ष में पैदा होती हैं। यूफ्रेटिस नदी के किनारे मघेर नामक स्थान की एक कब्र में सागौन की लकड़ी पाई गई है। वह ५००० वर्ष की पुरानी साबित हुई है। स्मरण रहे, सागौन के पेड़ हिन्दोस्तान के सिवा दुनिया में और कहीं नहीं होते। कई इतिहासकारों का मत है कि प्राचीन समय में मिश्र, रोम, ग्रीस और एशिया माइनर में ऐसी बहुत सी औषधियाँ और वनस्पतियाँ काम में आती थीं, जो केवल हिन्दोस्तान में उत्पन्न होती हैं।

प्राचीन भारत के सिक्कों के नाम भी मिश्र आदि कई पश्चिमी देशों में प्रचलित थे। जैसे माशा, सिकल, (सिक्का) दीनारस (दीनार) आदि। वहाँ की तौल-नाप के वाट आदि भी हिन्दोस्तान ही के समान थे। सबसे बढ़ कर विचित्र बात यह है कि यहाँ का रुपया इसी नाप, तौल और रूप में प्राचीन मेक्सिको में प्रचलित था।

प्राचीन मिश्रवाले हिन्दोस्तानियों ही के वंशज थे। मार्टन नाम के एक साहब ने अपने ग्रन्थ में एक जगह लिखा है कि मसाला लगे हुए मुद्रों की सौ में अस्सी खोपड़ियाँ आर्य्य-जाति की थीं। भारत के समान मिश्र वाले भी कई वर्षों में विभक्त थे।

एपोनस और प्लीनी आदि इतिहास-लेखकों का कथन है कि लौकी, नारंगी, इंजीर, नाशपाती, चावल और लोहा आदि कई चीजें भारत ही से मिश्र आदि देशों में गईं।