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अतीत स्मृति
 

सभ्यग्विद्याव्रतस्नातो यथावत्साङ्गवेदवित्।
सत्यवादी महेष्वासो वृद्धसेवी जितेन्द्रियः॥
प्रजापालनतत्वज्ञो न रागोपहतेन्द्रियः।
शक्त त्रैलोक्यमप्येको भोक्तुं.........॥
पौरान् स्वजनवन्नित्यं कुशलं परिपृच्छति।
शान्तैः सर्वप्रजाकान्तैः प्रोतिसंजननैर्नृणाम्।
गुणैविरुहचे रामः................।

(वाल्मीकि)

अन्त को सब एकमत हुए। उन्होंने दशरथ को सम्मति दी कि महाराज आप वृद्ध हैं राम का अभिषेक कर दीजिए। हम चाहते हैं कि महापराक्रमी राम की महागज पर सवारी निकाली जाय और उस पर छत्र लगाया जाय, इत्यादि-

ब्राह्मणा जनमुख्याश्च पौरजानपदैः सह।
समेत्य मन्त्रयित्वा तु समतां गतबुद्धयः॥
ऊचुश्च मनसा ज्ञात्वा वृद्धं दशरथं नृपम्।
अनेकवर्षसाहस्रो वृद्धस्त्वमसि पार्थिव॥
स रामं युवराजनमाभिषिश्वस्त पार्थिवम्।
इच्छामो हि महाबाहु रघुवीरं महाबलम्।
गजेन महता यार्न्त रामं छत्रावृताननम्॥

(वाल्मीकि)

प्राचीन भारत में प्रायः इसी तरह चुनाव हुआ करते थे। और, इस प्रकार का चुनाव होने से सब प्रसन्न रहते थे। कभी