पृष्ठ:अतीत-स्मृति.pdf/१८५

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

१६-प्राचीन भारत में शस्त्र-चिकित्सा

डाक्टर गिरीन्द्रनाथ मुखोपाध्याय, बी॰ ए॰, एम॰ डी॰ ने भारतीय आयुर्वेद में वर्णित शस्त्र-चिकित्सा और उसके यन्त्र आदि के विषय में एक पुस्तक लिखी है। पुस्तक अंगरेज़ी में है। कलकत्ता-विश्वविद्यालय ने उसे प्रकाशित किया है। उसका नाम है-"The Surgical Instruments of the Hindus"-अर्थात् हिन्दुओं के चिकित्सा-शख।

पुस्तक लिखने मे लेखक ने अच्छा परिश्रम और अनुसन्धान किया है। हर्ष की बात है कि अब भारतवासी भी भारत के प्राचीन महत्व को ढूँढ़ निकालने में तत्पर हुए हैं। अभी तक तो यह काम विदेशियों ही के हाथ मे था। डाक्टर वाइज़, रयेल, हार्नले, जाली, कडियार, ओसानोसी आदि यूरोप के विद्वानो की तरह डाक्टर उदयचाँद दत्त, गोडाल के ठाकुर साहब और डाक्टर राय आदि भारतीयों ने भी आयुर्वेद की कितनी ही बातों का बहुत कुछ अनुसन्धान किया है। डाक्टर मुखोपाध्याय ने तो उपर्युक्त पुस्तक लिख कर बड़ा ही उपकार किया है। जो लोग कहते हैं कि आयुर्वेदीय प्रणाली के अनुसार प्राचीन काल में शस्त्र-चिकित्सा का प्रचार न था उनका भ्रम अब