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मेरा दिया हुआ है,
उत्तरदायित्व कई लादे हैं एक साथ,
सबको निभाता और
काम करता हुआ
नाम भी वह लेता है,
इसी से है प्रियतम।'
नारद लज्जित हुए,
कहा, यह सत्य है।"
व्याख्यान पूरा हुआ,
स्वामीजी बैठे, स्तब्ध
सभा रञ्जित हुई,
धार्मिक आभास मिला।
स्वामीजी ने कहा चीफ़ मैनेजर साहब से,
'कोई दर्शनीय स्थान हो तो हमें दिखा दो।'
'राजा के गढ़ के मध्य
मन्दिर है कृष्णजी का,
बहुत ही सुन्दर स्थल,
सन्ध्या की आरती के समय साथ चलेंगे,'