मैं बैठा था पथ पर, तुम आये चढ़ रथ पर। हँसे किरण फूट पड़ी, टूटी जुड़ गई कड़ी, भूल गये पहर-घड़ी, आई इति अथ पर उतरे, बढ़ गही बाँह, पहले की पड़ी छाँह, शीतल हो गई देह, बीती अविकथ पर