अजातशत्रु। देवदत्त-(ठना हुआ ) "आवश्यकता फैसा रापन्न आपफो कमी क्या है, और हम लोगों के पास भाशीर्वाद के अतिरिक्त और क्या धरहै ? फिर भी सुन- ' प्रजात०-“कोश को दात न रहे हैं। वह फाशी की प्रजा में विद्रोह फग चाहा है। वहाँ के लोग राजस्व देना गरपाकार करते हैं देवदस-"पाया गौतम आजम्ल उसी ओर धूम रहा है, इसी लिये । कोई पता नहीं, व अजात । गौतम को कोई चाम, नहीं लगेगी। यदि निर्मत पारण करके मो वह ऐसे साम्रान्य के पड्यन्त्रों में लिप्त है तो भी हठयश उसका प्रतिद्वन्दी बनूँगा। परिपद को प्रधान रो-" ___ अमाप्त- जैसो माता-(दौवारिक से) जाओमी, परिषद के मस्यों का चुला लामो ।" (वैवारिक जाता है, फिर मश) वारिक-"सन टू की जय हो। कोशल से कोई गुप्त अनु घर घया है, और धर्शन की इच्छा प्रकट करता है।" देवदत-" ने लिया लाओ। (दौवारिक माकर लिया हाता) दूस-"मगध सम्राट् की जय हो ! कुमार विरुद्धक ने या पत्र श्रीमाम् की सेवा में भेजा है।। (पत्र देता है) (अमातशत्रु पर पदकर देवाम को देते हैं) देवदत-(पाकर) "पाठ | कैसा सुयोग है। हम लोग क्यों ५०
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