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अङ्ग पहिला। सम- जीयफ-"अच्छा, अय हम भी कोशल जायें । . . , (जाता है) दृश्यमानवा, । स्थान-पोशल में प्रावस्ती का दरभार । (पसेमगित सिंहासन पर और अमात्य धनुषण यथास्थान पैठे हैं) प्रसेनजित-"क्या यह सय सच है ? मुदत्त, तुमने भाज मुझे एक बड़ी प्राश्चर्यजनक बात सुनाई है।क्या सचमुच अशातशत्रु ने अपने पिता को सिंहासन से इनार कर उसका विरस्कार किया है ?" । · सुदच"पृथ्वीनाय ! यह उतना ही सत्य है जितना कि भीमान् का इस समय सिदामन पर विराजना सत्य है । मगध- नरेश से एफ पड्यन्य द्वारा सिंहासन छीन लिया गया है ?" , विरुद्धक-हमने तो सुना है कि महाराज पिम्मसार ने पान प्रस्प बाभम स्वीकार किया है .और उम अवस्था में युवराज पा । रान्य ममालना प्रयाही है" ___ प्रमेननिा-"विरुद्धक ! क्या मजात की ऐसी परिपफ मा. स्थाहै कि मगधनरेश उपे साम्राम्य का पोझ उठाने की प्राक्षा १० HTTE