कथा प्रसङ्ग। राज्य-नाम चमहासेन था। बौद्धों के लेख से प्रसननित् । एफ दुसरे नाम 'अग्निदत्त' का भी पता लगता है। सिंघसार भोणिक के और अजातशत्र कुणीक के नाम से भी विख्यात हैं। पद्मावती, उदयन-की दमरी रानी, के पिता के नाम में पड़ा मतभेद है। यह तो निर्विघाद है कि वह मगघराज की कन्या थी क्योंकि फया-सरित्सागर में भी यही लिखा है। किन्तु यौद्धो मे उसका नाम श्यामावती लिम्या है जिस पर, मागधी के द्वारा उरोनित किये जाने पर, उठयन बहुत नाराज हो गए थे। वह श्यामावती के ऊपर, यौद्ध-धर्म फा सपदेश सुनने के कारण, बहुत ऋद्ध हुए। यहाँ तक कि उसे जला डालने का भी उपक्रम हुमा या। किन्तु मास फी वासवदत्ता में इस रानी के भाई का नाम दर्शक लिखा है। पुराणों में भी मासशत्रु के बाद दर्शक, हर्पक, दर्मक और वशक इन कई नामों में अभिहित गफ गजा का, उल्लेझ है। किन्तु नहानश श्रादि बौद्ध प्रयों में फेवन ग्रजाक के पुत्र उद्याश्व का ही नाम उदायिम् . उदयसद्रक- के रूपातर में, मिलता है। हमारा अनुमान है कि पश्नांपती अजातशत्र की यहन यी, और, भास ने सभवत ( कुणीक के स्थान में) अजात के दूसरे नाम का ही उल्लेख किया हैं जैसा कि उसने पड़-महासेन के लिये प्रघोस नाम का प्रयोग किया है। यदि पश्यावृती अजातशव की कन्या हुई, तो इन बातों को भी विचारनी होगा कि जिससमय विवसार' मगध में, अपनी पृद्धावस्था में, गस्य फर रहा था उससमय पचावती फा विवाह हो चुका था। क्योंकि प्रसेनजित उसकी हमजाजी का या। यह विंसार का सालाना। फलिंगदत्त ने प्रसेननिस् फो अपनी फन्या देनी चाही थी, किन्तु स्वय उमझी कन्या फलिंगसेना ने मसेन को पृट देखकर उदयन से विवाह करने का निश्चय किया था। मलन है। यही नाम है कि पाक यान
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