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कथा-प्रसा। - अजातशत्रु, वैशाली [जि] की राजकुमारी से उत्पन्न, उन्हीं का पुन था। इसका वर्णन मी बौद्धों की प्राचीन कथाओं में पहुतं मिलवा । है। विवसार फी बड़ी रानी कोशमा फोशन-नरेश प्रसेनजित् की यहन था। परस-राष्ट्र की राजधानी कौशादी थी, जिसका खेदहर जिला बाँदा [फिरुई-सघ-डिवीजन में यमुना के किनारे 'कोसम्' नाम से प्रसिद्ध है। उदयन, इसी फौशोदी का राजा था। इसने मगधराज और अयन्ती-नरेश, दोनोंको फन्याभों से विवाह किया था। भारत के सहस्ररजनी-परिष "कथा-सरित्सागर' का नायक इसी का पुत्र नरवाहनदत्त है। । ५ वृहत्कथा [कया-सरित्सागर के आदि भाचार्य पररुचि है"जों कौशायी में उत्पन्न हुए थे, और जिन्होंने मगध में नन्दको भत्रित्वं किया। संदयन के समकालीन अजातशत्रु के बाद उदयाश्य। दिवन और महानन्द माम फे तीन गजा मगध के सिंहासन पर येठेशवा के गर्भ से उत्पन्न, महानद के पुत्र, महापयन्नामक नंद ने नन-घश की नींव डाली। इसके बाद समाल्य आदि ८ नदो ने शासन किया [विष्णु पुराण, ४ अश] 1 किसी के मत से महापन के बाद केवल नवनियों ने राज्य किया। इसी 'नव नना वाक्य के हो अथे हुए-तम नन्द [नवीन नन्त ] वया महापा और सुमाल्य, आदि ९ नन्न । इनका गग्य-काल, विष्णु पुराण के अनुसार, १०० वर्ष है। नन्द के पहिले राजा का राम्य फाल भी,, पुराणों के अनुसार, लगभग २०० वप होता है। दुटि ने मुद्रा. रावस के उपोद्पात में अन्तिम नन्द का नाम घननन्द लिस्सा है। फया-सरित्सागर में उसका नाम मत्यनन्द है। इसके बाद योगानन्द