'प्रसादजी' की अन्य रचनायें। 'अजावरात्र के रचयिता इन 'प्रसाद' जी की लिखी निम्न । लिखित १२ पुस्तफें अब तक प्रकाशित हो चुकी हैं। १-फाननफुसुम [१११ फविधाओं का समह] II) २-प्रेमपथिक [ भाषपूर्ण भिन्नतुफान्त, काव्य ] 1) ३-महाराणा का महत्व ४-सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य [ ऐतिहासिफ] ५-छाया [चिसाकर्पक ११ गरूपों का गुच्छा ] mj . ६-उर्यशी [ पम्प] । ७-राज्य श्री [ नाटिका ] E-फरुयालय [गीति नाटक] ९-प्रायश्चित्त [नाटक] १०-कल्याणी परिणय [ रूपक] ११-पिशास [ ऐतिहासिक नाटक] १०-मरना[काश्य माला ] ये समी मौलिक हैं। माघ-भापा भी इनके सभी स्वतंत्र हैं। 'सरम्यवी, प्रभा मर्यादा, हिन्दी चित्रमयजगत, नागरीप्रचारफ, मनोरचन, हिन्दी यापासी, माधुरी, शिक्षा प्रभृति पत्रों के अतिरिक्त हिन्दी के ख्यासनामा प० पासिंहजी शर्मा, प० लोचन प्रसादजी पाण्डेय, प० नर्मदाप्रसाद मिम पी.ए, प्रसूति सम्मनों ने भी इनकी रचना की खूप सराहना की है। धन सप की प्रथम सस्करण की समस्य प्रतियाँ घुफ गई है। सबका द्वितीय संस्करण परहा है। केवल 'विशाखमोर "प्रेमपपि' की कुछ प्रतियाँ पप गई हैं। जो अभी मिल सकती हैं। पसा-व्यवस्थापफन्दी -ग्रन्थ-भण्डार' कार्यालय, नई सड़क, बमारस सिटी। armann-an
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