पृष्ठ:अंधकारयुगीन भारत.djvu/९

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

माला का परिचय जोधपुर के स्वर्गीय मुंशी देवीप्रसाद बी मुंसिफ इतिहास और विशेषतः मुसलिम काल के भारतीय इतिहास के बहुत बड़े ज्ञाता और प्रेमी थे तथा राजकीय सेवा के कामों से वे जितना समय बचाते थे, वह सब वे इतिहास का प्रध्ययन और खोज करने अथवा ऐतिहासिक ग्रंथ लिखने में ही लगाते थे । हिंदी में उन्होंने अनेक उपयोगी ऐति- हासिक ग्रंथ लिखे हैं जिनका हिंदी संसार ने अच्छा आदर किया है । श्रीयुत मुंशी देवीप्रसाद जी की बहुत दिनों से यह इच्छा थी कि हिंदी में ऐतिहासिक पुस्तकों के प्रकाशन की विशेष रूप से व्यवस्था की जाय । इस कार्य के लिये उन्होंने ता० २१ जून १६१८ को ३५०० रु० अंकित मूल्य और १०५०० मूल्य के बंबई बंक लि. के सात हिस्से सभा को प्रदान किए थे और अादेश किया था कि इनकी श्राय से उनके नाम से सभा एक ऐतिहासिक पुस्तकमाला प्रकाशित करे । उसी के अनुसार सभा यह 'देवीप्रसाद ऐतिहासिक पुस्तकमाला' प्रकाशित कर रही है। पीछे से जब बंबई बंक अन्यान्य दोनों प्रेसीडेंसी बंकों के साथ संमिलित होकर इंपीरियल बंक के रूप में परिणत हो गया, तब सभा ने बंबई बंक के सात हिस्सों के बदले में इंपीरियल बंक के चौदह हिस्से, जिनके मूल्य का एक निश्चित अंश चुका दिया गया है, और खरीद लिए और अब यह पुस्तकमाला उन्हीं से होने