परिशिष्ट ग चंद्रसेन और नाग-विवाह चंद्रसेन ( पृ० २४६, २५४ )-जो यह कहा गया है कि चंद्रसेन गया जिले का एक शासक था, उसके संबंध में देखो कनिंघम कृत Reports खंड १६, पृ० ४१-४२। जनरल कनिंघम ने धरावत ( कौवाडोल के पास के एक गाँव ) में यह प्रवाद सुना था कि यहाँ किसी समय चंद्रसेन नामक एक राजा राज्य करता था, जिसकी बनवाई हुई चंद्र-पोखर नामक झील, जो २००० फुट लंबी और ८०० फुट चौड़ी है, अबतक मौजूद है। कहा जाता है कि उसने एक अप्सरा के साथ विवाह किया था। वह बौद्ध विद्वान् गुणमति से पहले हुआ था (पृ०६८)। धरावत में कनिंघम ने ऐसी मोहरें खोद निकाली थीं, जिनपर गुप्त-कालीन अक्षर थे। नाग-विवाह और कल्याणवर्मन् का विवाह (पृ० २४६-२५५ )-कल्याणवर्मन् के विवाह में एक यह विलक्षणता थी कि वह अपना विवाह करने के लिये मथुरा नहीं गया था; बल्कि वधू ही पाटलिपुत्र में लाई गई थी। यह नागों की ही एक प्रथा थी कि कन्या-पक्ष के लोग कन्या को लेकर वर-पक्ष के यहाँ जाते थे और वहाँ उसका विवाह करते थे, जिसका पता श्रीयुत हीरालाल जैन ने पुष्पदंत के लिखे हुए अपने णाय (=नाग) कुमार-चरियु के संस्करण में लगाया है। यह प्रथ करंजा प्रथ-
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