पृष्ठ:अंधकारयुगीन भारत.djvu/४५६

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(४१२) लिपि के विचार से इस शिलालेख का काल सन् ३०० ई० के लगभग होगा। आगे चलकर "र" का जो चालुक्य रूप हुआ था, वह सेंद्रक में दिखाई देता है। डा० कृष्ण ने इसका जो समय (सन् २५० ई० ) निश्चित किया है, वह अपनी गलत पढ़ाई के कारण किया है। डा० कृष्ण ने जो यह शिलालेख ढूंढ़ निकाला है, उसके लिये और उसमें के जो अधिकांश अक्षर पढ़े हैं, उसके लिये हमलोग उनके कृतज्ञ हैं। इसमें अवश्य ही उन्हें बहुत परिश्रम करना पड़ा होगा।