पृष्ठ:अंधकारयुगीन भारत.djvu/३६३

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सन् ३१० ई. के (३३५) जिन नागों ने वीरकूर्च पल्लव को उपराज के पद पर प्रतिष्ठित किया था, वे अवश्य ही साम्राज्य के अधिकारी रहे होंगे और अवश्य ही आंध्र राज्यों की सीमा पर के होंगे और ये सब बातें केवल साम्राज्यभोगी भार-शिव नागों में ही दिखाई देती हैं। ६१७४. यहाँ हमें बौद्ध इतिहास से सहायता मिलती है और उससे कई बातों का समर्थन होता है। श्याम देश के बौद्ध इतिहास के अनुसार सन् ३१० ई० में आंध्र देश नाग राजाओं के अधिकार में था और उन्हीं में महात्मा बुद्ध के उस दाँत का कुछ साम्राज्य में अांध्र अंश सिंहल ले जाने की आज्ञा प्राप्त की गई थी जो आंध्र देश के दंतपुर नामक स्थान में या'। आंध्र देश में इस स्थान को मजेरिक कहते हैं जो मेरी समझ में गोदावरी की उस शाखा का नाम है जिसे आजकल मंझिर कहते हैं । बौद्धों ने जिस "नाग" राजा का वर्णन किया है, वह पल्लव राजा होना चाहिए जो नाग साम्राज्य के अधीन था; और उस समय (अर्थात् सन् ३०० ई० के लगभग ) नाग सम्राट् था और उस नाग राजकुमारी के गर्भ से उत्पन्न हुआ था जिसके साथ वीरकूर्च ने विवाह किया था (देखो $ १८२ और उसके आगे)। लगभग नाग १. कनिंघम कृत Ancient Geography of India (१९२४ वाला संस्करण ) पृ० ६१२ । २. उक्त ग्रंथ, पृ० ६०५. कनिंघम का विचार है कि जिस स्तूप से महात्मा बुद्ध का दाँत निकालकर स्थानांतरित किया गया था, वह अमरावती वाला स्तूप ही है ।