(३१८) भी हो सकता है कि वह एक गणतंत्री राजा रहा हो। जो हो, परंतु यह बात अवश्य निश्चित है कि उसके समय में आभीरों ने एक राजनीतिक समाज के रूप में सातवाहन राजवंश की अधी- नता में रहना छोड़ दिया था। ईश्वरसेन के ६७ वर्ष पहले सात- वाहनों ने जो आभीर गणतंत्र को मान्य किया था, उसका समय सन् १६० ई० के लगभग हो सकता है। रुद्रदामन् को गणतंत्री यौधेयों और मालवों ने बहुत तंग कर रखा था; और नान पड़ता है कि सातवाहनों ने आभीरों को बीच में इसीलिये रख छोड़ा था कि यौधेयों और मालवों के साथ विशेष संघर्ष की संभावना न रह जाय और आभीर लोग बीच में रह कर दोनों पक्षों का संघर्ष बचावें । सातवाहनों ने देखा होगा कि अपने पड़ोसी क्षत्रप के राज्य से ठीक सटा हुआ एक गणतंत्र रखने में कई लाभ हैं 1 ६१६५. पुराणों में आभीर शासकों की संख्या के संबंध में कुछ गड़बड़ी है; कहीं वे १० कहे गए हैं और कहीं ७; और यह गड़बड़ी इसलिये हुई है कि इसके ठीक बाद ही एक और संख्या भी दी गई है अर्थात् कहा गया है कि गर्दभिलों में सात शासक हुए थे। भागवत में कहा गया है कि गर्दभिलों में १० और आभीरों में ७ शासक हुए थे और दूसरे पुराणों में कहा गया है कि आभीरों में १० और गर्दभिलों में ७ शासक हुए थे। यह संख्या-विपर्यय के कारण होने वाली भूल है। परंतु भागवत के अतिरिक्त और सभी पुराण इस बात में सहमत हैं कि आभीरों में १० शासक हुए; और इसलिये यही बात अधिक ठीक जंचती है। ६ १६६. जैसा कि ऊपर बतलाया जा चुका है कौटिल्य के समय में काठियावाड़ में सौराष्ट्रों का गणतंत्र था। जान पड़ता है
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