(२६१ ) अमो तक वर्तमान है। उस मंदिर में स्तंभों और कारनिस के मध्य वाले स्थान में अंत्येष्टि क्रिया का एक चित्र अंकित है, और मंदिरों में साधारणतः ऐसे चित्र नहीं अंकित हुआ करते । जान पड़ता है कि यह उस समय का दृश्य है, जब कि वाकाटक राजा पराजित होकर युद्ध-क्षेत्र में निहत हुआ था और उसका शवदाह हुआ था। उसी दिन से वह नगर प्रत्यक्ष रूप से गुप्त सम्राट के अधि- कार में आ गया था और उसकी व्यक्तिगत संपत्ति बन गया था, क्योंकि उसे "स्वभोग-नगर" कहा गया है और इसका यही अभि- प्राय होता है। $ १३८. एरन एक ओर तो बुंदेलखंड के प्रवेश-द्वार पर और दूसरी ओर मालवा के प्रवेश-द्वार पर स्थित है। पूर्वो मालवा भी और पश्चिमी मालवा भी, तात्पर्य यह कि एरन एक प्राकृतिक सारा मालवा, प्रजातंत्रों के अधिकार में युद्ध क्षेत्र था था, जिन्होंने विना लड़े-भिड़े ही समुद्रगुप्त के हाथ आत्म-समर्पण कर दिया था। यह स्थान पहले से ही सैनिक कार्यों के लिये बहुत महत्त्व का था, और यहाँ एक प्राचीन गढ़ भी था और इसके आगे एक बहुत बड़ा मैदान था। मानों प्रकृति ने पहले से ही यहाँ एक बहुत अच्छा युद्ध -क्षेत्र बना रखा था। जान पड़ता है कि इसी स्थान पर समुद्र- गुप्त ने वाकाटक राजा के साथ यद्ध किया था। परवर्ती गुप्त काल में भी यहाँ एक और युद्ध हुआ था, क्योंकि यहाँ एक गुप्त सेना- पति (गोरराज) का एक और स्मृति-चिह्न मिलता है, जिसने हूणों के समय यहाँ लड़कर अपने प्राण दिए थे और यहीं उसकी १. श्रारकियालोजिकल सर्वे रिपोर्ट, खंड १०, पृ० ८५ ।
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