( २५५ ) होकर गया था और तब वह वहाँ से महाकांतार गया था और महाभारत के आधार पर हम पहले यह कोलायर झीलवाला युद्ध बतला चुके हैं कि यह वही प्रदेश था जो आजकल का काँकर और बस्तर है। इसके उपरांत वह कुराल पहुंचा था। वह अवश्य ही वेंगी से होता हुआ गया होगा' परंतु वेंगी के शासक का नाम कलिंग की राजधानी पिष्ठपुर के शासक के नाम के बाद दिया गया है और यह कलिंग गोदावरी जिले में था। पिष्ठपुर के इस शासक (स्वामिदत्त) के अधिकार में महेंद्रगिरि और कोट्टर की पहाड़ी गढ़ियों के आस-पास दो और छोटे प्रदेश या जिले थे जो आज- कल के गंजाम जिले में थे। गंजाम जिले में ही कलिंगनगर ( मुखलिंगम् ) के पास ही कलिंग देश का एरंडपल्ली नामक कस्बा था जिसका उल्लेख देवेंद्रवर्मन्वाले उस ताम्रलेख में भी है जो चिकाकोल के निकट सिद्धांतम् नामक स्थान में पाया गया है ( देखो एपि० ई०, खंड १३, पृ० २१२ ) । यह प्रदेश अवश्य ही पिष्ठपुर के स्वामिदत्त के अधीन रहा होगा और एरंडपल्ली का दमन एक "राजा" या उसी प्रकार का शासक रहा होगा, जिस प्रकार आजकल किसी जिले के अफसर या प्रधान अधिकारी हुश्रा करते हैं। इसी के बाद कांची के शासक विष्णुगोप का नाम आया है जो उस समय अपने बड़े भाई सिंहवर्मन् प्रथम का युवराज था अथवा उसके पुत्र कांचीवाले सिंहवर्मन् द्वितीय का अभिभावक था। एरंडपल्ली से कांची बहुत दूर पड़ती है। यदि १. गोदावरी जिले के एल्लौर नामक नगर के पास जो इसका स्थान निर्देश हुश्रा है, उसके लिये देखो एपिग्राफिया इंडिका, खंड ६, पृ० ५६ ।
पृष्ठ:अंधकारयुगीन भारत.djvu/२८३
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।