(१५६ ) (आंध्र देश के सात राजा) कहा गया है। जान पड़ता है कि मेकल का प्रांत आज-कल की मैकल पर्वत-माला के दक्षिण से आरंभ होकर एक सीधी रेखा में आज-कल की बस्तर रियासत को पार करता हुआ चला गया था जहाँ से आंध्र देश प्रारंभ होता है। इसके पूर्व में कोसला का प्रांत था अर्थात् उड़ीसा और कलिंग के करद राज्यों का प्रांत था । यहाँ यह बात भी ध्यान में रखनी चाहिए कि रायपुर से बस्तर तक के प्रदेश में बराबर नागों की बस्ती के चिह्न मिलते हैं। और यहीं दसवीं शताब्दी से लेकर इधर के परवर्ती नागवंशों के शिलालेख आदि बहुत अधिक संख्या में मिलते हैं। शेष मध्य प्रदेश के साथ साथ यह प्रांत भी नाग-साम्राज्य का एक अंश था। आगे चलकर जब दक्षिणी इतिहास का विवेचन किया जायगा और पल्लवों के संबंध की बातें बतलाई जायँगी (६ १७३ और उसके आगे) तब यह भी बतलाया जायगा कि ये नाग लोक विंध्यकों अथवा विंध्यशक्ति के वंशजों की किस शाखा के थे। यहाँ केवल इतना बतला देना यथेष्ट है कि विधयक लोग आंध देश के शासक थे, उनके मेकल प्रांत में आंध्र भी सम्मिलित था और इस वंश की एक शाखा वहाँ करद और अधीनस्थ वंश के रूप में बस गई थी जिसने सात पीढ़ियों तक राज्य किया था। शेष तीनों वंशों के शासक कुल इस वर्णन के अंतर्गत आते हैं-विवाह-संबंध द्वारा स्थापित राजवंश (वैवाहिकाः) । नैषध प्रांत पर एक ऐसे १. P. T. पृ० ५१, टिप्पणी १६ । २. J. B. O. R. S. १८, ६८ | ३ विष्णुपुराण के फर्चा ने वायुपुराण का यह अंश पढ़ने में भूल की थी और महीषी राजाओं को मेकला राजाओं के वर्ग में मिला दिया था
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