(१३६ ) (च) सिवनीवाले प्लेट जो मध्य प्रदेश के सिवनी नामक स्थान में मिले थे। ये प्रवरसेन द्वितीय के हैं और उसके शासन- काल के १८वें वर्ष के हैं। ये एलिचपुर जिले की एक संपत्ति के विषय में हैं (G. I. पृ०२४३)। ! (छ) दामोदरसेन प्रवरसेन द्वितीय के शासन-काल के १६ वें वर्ष के पूनावाले' दूसरे प्लेट के लेख जो राजमाता प्रभावती गुप्ता महादेवी ने, जो रुद्रसेन द्वितीय की रानी और महाराज श्री दामोदरसेन की माता थी, तैयार कराए थे। यह दान राम- गिरि ( मध्यप्रदेश में नागपुर के पास रामटेक ) में किया गया था । ( I. A. खंड ५३, पृ०४८)। (ज) प्रवरसेन द्वितीय के दूदियावाले प्लेट जो २३ वें वर्ष में प्रवरपुर में प्रस्तुत कराए गए थे और मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में मिले थे। E. I. खंड ३, पृ० २५८ । (झ) प्रवरसेन द्वितीय के पटना म्यूजियमवाले प्लेट। ये खंडित हैं और इन पर कोई समय नहीं दिया गया है। ये प्लेट मध्य प्रदेश के जबलपुर से पटने आए थे। J. B.O. R. S. खंड १४, पृ० ४६५। पृथिवीपण द्वितीय-(अ) वालाघाटवाले प्लेट जो महा- राज श्री नरेंद्रसेन के पुत्र और प्रवरसेन द्वितीय के पौत्र पृथिवी- पेण द्वितीय के हैं। पृथिवीपेण द्वितीय की माता कुंतल के राजा (कुंतलाधिपति ) की कन्या महादेवी अज्झिता भट्टारिका थी। १. इन्हें रिद्ध पुरवाले प्लेट कहना चाहिए। देखो बा० हीरालाल कृत Inscriptions in C. P. & Berar. १९३२, पृ० १३९. रिद्धपुर अमरावती से २६ मील है ।
पृष्ठ:अंधकारयुगीन भारत.djvu/१६६
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।