पृष्ठ:अंधकारयुगीन भारत.djvu/१४२

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( ११४ ) ६ ५१. इसके उपरांत जो दूसरा बड़ा अर्थात् गुप्त काल आया, उसमें हमें सामाजिक बातों में सहसा एक परिवर्तन दिखाई देता है। गुप्त शिलालेखों में हमें यह लिखा गौ की पवित्रता मिलता है कि गौ और साँड़ पवित्र हैं और इनकी हत्या नहीं होनी चाहिए। इस प्रकार की धारणा का आरंभ संभवतः नाग काल में हुआ था। कुशन लोग गौओं और साँड़ों की हत्या करते थे। पर भार-शिवों के लिये साँड़ एक पवित्र चिह्न के रूप में था और यहाँ तक कि वे स्वयं अपने आपको भी नंदी मानते थे । संभवतः उनके कारण उनके सारे साम्राज्य में साँड़ पवित्र माना जाने लगा था और यहीं से मानों उनका काल उस पिछले राजनीतिक काल से अलग होता था, जिसमें कुशनों की पाकशाला के लिये आम तौर पर साँड़ मारे जाते थे। गुप्त काल में राजाओं को इस बात का गर्व रहता था कि हम साँड़ों और गौओं के रक्षक हैं। और इस प्रकार वे कुशनों के शासन के मुकाबले में स्वयं अपने शासन की एक विशेषता दिखलाते थे । आधुनिक हिंदुत्व की नींव नाग सम्राटों ने रखी थी, वाकाटकों ने उस पर इमारत खड़ी की थी, और गुप्तों ने उसका विस्तार किया था। २. देखो आगे गुप्तों के प्रकरण में कुशनों के शासन का विवरण (६१४६ ख ।)