( २ ) वाली तथा स्वयं अपनी पुस्तकों की बिक्री से होने वाली प्राय से चल रही है । मुंशी देवीप्रसाद जी का वह दानपत्र काशी नागरीप्रचारिणी सभा के २६ वें वार्षिक विवरण में प्रकाशित हुआ है ।