दिल्ली विश्वविद्यालय स्नातक हिंदी पाठ्यक्रम

दिल्ली विश्वविद्यालय स्नातक हिंदी पाठ्यक्रम
दिल्ली विश्वविद्यालय

नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय, पृष्ठ १ से – ५ तक

 

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Department of Hindi BA (Hons.) Hindi Category-1 हिंदी कविता (आदिकाल एवं निर्गुणभक्ति काव्य ) Core Course - (DSC) - 1 कोर कोर्स 1 COURSE Nature Total Componets of the Credit Lecture Course Tutorial Practical हिंदी कविता : कोर कोर्स 4 3 1 आदिकाल एव निर्गुण (DSC) 1 भक्तिकाव्य Eligibility Criteria / Prerequisite दिल्ली विश्वविद्यालय के नियम के अनुसार

Course Objective (2-3)

1. हिंदी साहित्य के आदिकालीन और भक्तिकालीन साहित्य से अवगत कराना।

2. आदिकाल के दो प्रमुख कवियों — चंदबरदाई और विद्यापति की विषिष्ट भूमिका रही है। इससे विद्यार्थियों को अवगत कराना।

3. निर्गुणभक्ति काव्य के अंतर्गत — संतकाव्य एवं प्रेमाख्यानक काव्य के प्रमुख कवियों - कबीर, जायसी आदि का अध्ययन करना और हिंदी साहित्य में उनके योगदान की चर्चा करना।

Course learning outcomes

1. आदिकाल के परिवेष - राजनीतिक, सामाजिक सांस्कृतिक, धार्मिक परिस्थितियों से भली-भांति परिचित हो सकेंगे।

2. आदिकाल में चंदबरदाई के साहित्यिक और संगीत के क्षेत्र में योगदान से परिचित हो सकेंगे।

3. भक्तिकाल हिंदी साहित्य का स्वर्ण युग है। इसके अध्ययन से मानवीय और नैतिक मूल्यों का विकास होगा।

4. भक्तिकाल के साहित्य में सामंती व्यवस्था का विरोध हुआ, यह इस काव्य की विषिष्ट उपलब्धि है।

Unit 1

चंदबरदाई - पृथ्वीराज रासो, सं. हजारी प्रसाद द्विवेदी, नामवर सिंह (साहित्य भवन प्रा. लि. इलाहाबाद)

बानबेध समय

कवित्त (10-11)

  • प्रथम मुक्कि दरबार । लज्ज संर सुरतानी।।

किहि थान लोइ संभरि घनी । कहौ सुबत्त लज्जौ न लजि।।

बानबेध समय

दूहा ( 20-33, 49)

  • हम अबुद्धि सुरतान इह । भट्ट भाष सुष काज।। प्रथम राज पासहु गयौ। जब रुक्कयौ दह हथ्थ।।
  • चवै चंद बरदाइ इम। सुति मीरन सुनतान।।

दे कमान चौहान कौं। साहि दियै कछु दान।।

बानबेध समय

पद्धरी (50-53)

  • संगहें पान कम्मान राज। उभ्भरे अंग अंतर विराज।।

निसुरत्ति आनि दिय साहि हथ्थ। तरकस्स तीर गोरी गुरथ्थ।।

बानबेध समय कवित्त (54,55,50)

  • ग्रहिय तीर गोरिस्स । कीन बिन इच्छ अप्प कर ।।

श्रृगांर वीर करूना विभछ । भय अद्भुत इसंत सम ।।

Unit 2

विद्यापति सं. डॉ. विवप्रसाद सिंह (लोकभारती प्रकाषन, इलाहाबाद)

बंषी माधुरी

नन्दक नन्दन कदम्बेरि तरुतरे
वन्दह नन्दकिसोरा ।।

रूप वर्णन

  • देख-देख राधा-रूप अपार

करू अभिलाख मनहि पद पंकज अहोनिसि कोर अगोरि ।

पद - 14

  • चाँद-सार लए मुख घटना करु लोचन चकित चकोरे ।

रूप नरायन ई रस जानथि सिबसिंघ मिथिला भूपे ।

पद - 24 बदन चाँद तोर नयन चकोर मोर रूपनरायन जाने ।। Unit 3 कबीर - कबीर - ग्रंथावली, संपादक डॉ. श्यामसुंदर दास (नागरी प्रचारिणी सभा वाराणसी) Unit 4 साखी गुरूदेव कौ अंग 1 से 16 तक विरह कौ अंग पद संख्या - - 1 से 8, 21, 22, 23,44,45 378,400 (15 घंटे) (15 घंटे) (15 घंटे) 338 | Page ________________

- जायसी जायसी ग्रंथावली - (सं.) रामचंद्र शुक्ल मानसरोदक खण्ड

References

त्रिवेणी रामचंद्र शुक्ल - कबीर हजारीप्रसाद द्विवेदी

भक्ति आन्दोलन और सूरदास का काव्य -

मैनेजर पांडेय

• हिंदी सूफीकाव्य की भूमिका - रामपूजन तिवारी

• सूफी कविता की पहचान यष गुलाटी

निर्गुण काव्य में नारी अनिल राय - Note: Examination scheme and mode shall be as prescribed by the Examination Branch, University of Delhi, from time to time.

हिंदी साहित्य का इतिहास (आदिकाल एवं मध्यकाल)

Core Course (DSC)-2 कोर कोर्स 2 COURSE Nature Total Componets of the Credit Eligibility Criteria / Prerequisite Lecture Tutorial Practical Course हिंदी साहित्य का एवं मध्यकाल)

Course Objective (2-3) कोर कोर्स 4 3 1 इतिहास (आदिकाल | (DSC) 2 दिल्ली विश्वविद्यालय के नियम के अनुसार हिंदी साहित्य के इतिहास की जानकारी प्रमुख इतिहास ग्रन्थों की जानकारी आदिकाल, मध्यकाल के इतिहास की जानकारी

Course learning outcomes · हिंदी साहित्य के इतिहास का ज्ञान · इतिहास ग्रन्थों का विश्लेषण • इतिहास निर्माण की पद्धति

Unit 1 हिंदी साहित्य : इतिहास-लेखन

हिंदी साहित्य के इतिहास लेखन की परंपरा का परिचय • हिंदी साहित्य : काल विभाजन एंव नामकरण Unit 2 आदिकाल (15 घंटे) (15 घंटे) 339 | Page ________________

Unit 3 • आदिकाल का राजनीतिक, सामाजिक, सांकृतिक परिवेष और साहित्यिक पृष्ठभूमि सिद्ध साहित्य, नाथ साहित्य, जैन साहित्य • रासो काव्य लौकिक साहित्य भक्तिकाल (पूर्वमध्यकाल) भक्ति आंदोलन और उसका अखिल भारतीय स्वरूप - भक्ति साहित्य की दार्षनिक पृष्ठभूमि भक्तिकाल की धाराएँ : • • 1. निर्गुण धारा (ज्ञानाश्रयी शाखा, प्रेममार्गी सूफी शाखा) 2. सगुण धारा ( रामभक्ति शाखा, कृष्णभक्ति शाखा) Unit 4 (15 घंटे) (15 घंटे) रीतिकाल (उत्तरमध्यकाल) • युगीन पृष्ठभूमि (राजनीतिक, सामाजिक-सांस्कृतिक-आर्थिक परिवेष, साहित्य एवं संगीत आदि कलाओं की स्थिति) काव्य - प्रवृतियाँ 1. रीतिबद्ध और रीतिसिद्ध 2. रीतिमुक्त काव्य 3. वीरकाव्य, भक्तिकाव्य, नीतिकाव्य References • हिंदी साहित्य का इतिहास - आचार्य रामचंद्र शुक्ल हिंदी साहित्य की भूमिका आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी

- रसाल सिंह आदिकालीन हिंदी साहित्य : अध्ययन की दिषाएँ संपा, अनिल राय हिंदी साहित्य के इतिहास पर कुछ नोट्स Additional Resources: मध्यकालीन साहित्य और सौदर्यबोध • भक्ति आंदोलन के सामाजिक आधार • हिंदी साहित्य और संवेदना का विकास • हिंदी साहित्य उदद्भव और विकास ·

हिंदी साहित्य का इतिहास हिंदी साहित्य का आदिकाल · साहित्य का इतिहास दर्षन साहित्य और इतिहास दृष्टि Teaching learning process कक्षा व्याख्यान सामूहिक चर्चा 1 से 3 सप्ताह 4 से 6 सप्ताह 7 से 9 सप्ताह -- - - इकाई इकाई इकाई - 1 - 2 3 - मुकेष गर्ग संपा, गोपेश्वर सिंह - रामस्वरूप चतुर्वेदी आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी संपा, डा. नगेन्द्र - आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी नलिन विलोचन षर्मा मैनेजर पांडेय 340 | Page ________________

10 से 12 सप्ताह - इकाई - 4 13 से 14 सप्ताह सामूहिक चर्चा, विषेष व्याख्यान एंव आंतरिक मूल्यांकन संबंधी गतिविधियाँ Asessment Methods असाइनमेंट इतिहास लेखन से जुड़े शब्द Note: Examination scheme and mode shall be as prescribed by the Examination Branch, University of Delhi, from time to time. हिंदी कहानी Core Course (DSC)-3 कोर कोर्स 2 COURSE Nature Total Componets of the Credit Lecture Tutorial Practical Course हिंदी कहानी कोर कोर्स 4 3 1 (DSC) 3 Course Objective (2-3) हिंदी कहानी के उद्भव और विकास की जानकारी कहानी विष्लेषण की समझ कथा साहित्य में कहानी की स्थिति का विष्लेषण प्रमुख कहानियाँ और कहानीकार Course learning outcomes हिंदी कथा साहित्य का परिचय Eligibility Criteria / Prerequisite दिल्ली विश्वविद्यालय के नियम के अनुसार कहानी लेखन और प्रभाव का विष्लेषण प्रमुख कहानीकार और उनकी कहानी के माध्यम से कहानी की उपयोगिता और विष्लेषण की समझ Unit 1 उसने कहा था- गुलेरी पंच परमेष्वर - प्रेमचंद Unit 2 तीसरी कसम चीफ की दावत Unit 3 Unit 4 रेणु - भीष्म साहनी (15 घंटे) (15 घंटे) (15 घंटे) वारिस - मोहन राकेष वापसी - उषा प्रियंवदा (15 घंटे) - अमरकान्त दोपहर का भोजन - घुसपैठिए ओमप्रकाष वाल्मीकि - 341 | Page

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