चाँदी की डिबिया/अंक २/२
दृश्य २
[ बार्थिविक का भोजनालय, वही शाम है। बार्थिविक-परिवार फल और मिठाइयाँ खा रहा है। ]
मिसेज़ बार्थिविक
जाँन।
[ अख़रोटों के छिलकों के टूटने की आवाज़ आती है ]
बार्थिविक
तुम इन अखरोटों का हाल उनसे क्यों नहीं कहती खाए नहीं जाते।
[ एक गरी मुंह में रख लेता है ]
मिसेज़ बार्थिविक
यह इस चीज़ का मौसिम नहीं है। मैंने होली-रूड से कहा था।
[ बार्थिविक अपना गिलास पोर्ट से भरता है ]
जैक
दादा, ज़रा सरौता बढ़ाइएगा।
[ बार्थिविक सरौता बढ़ा देता है। वह किसी विचार में डूबा हुआ मालूम होता है ]
मिसेज़ बार्थिविक
लेडी होलीरूड बहुत मोटी हो गई हैं। मैं यह बहुत दिनों से देख रही हूँ।
बार्थिविक
[ अनमने भाव से ]
मोटी?
[ वह सरौता उठा लेता है---चेहरे पर लापर्वाही झलकने लगती है ]
होलीरूड परिवार का नौकरों से कुछ झगड़ा हो गया था, क्यों?
जैक
दादा, ज़रा सरौता।
बार्थिविक
[ सरौता बढ़ाते हुए ]
समाचार पत्रों में निकला था। रसोइयादारिन थी न?
मिसेज़ बार्थिविक
नहीं, खिदमतगारिन थी। मैंने लेडी होलीरूड से बातचीत की थी। वह लड़की अपने प्रेमी को मिलने के लिए बुलाया करती थी।
बार्थिविक
[ बेचैनी से ]
मेरी समझ में उन्हें---
मिसेज़ बार्थिविक
बार्थिविक
हाँ बात तो ठीक थी---लेकिन मैं यह नहीं सोच रहा था।
जैक
[ छेड़ने के लिए ]
दादा, सरौता।
[ बार्थिविक सरौता बढ़ा देता है ]
मिसेज़ बार्थिविक
लेडी होलीरूड ने मुझसे कहा---"मैंने उसे बुलाया और उससे कहा, फ़ौरन मेरे घर से निकल जा। मैं तुम्हारे चालचलन को निंदनीय समझती हूँ। मैं कह नहीं सकती। मैं नहीं जानती, और न में जानना चाहती है कि तुम क्या कर रही थीं। मैं सिद्धांत की रक्षा के लिए तुम्हें अलग कर रही हूं। मेरे पास सिफ़ारिश के लिए मत आना।" इस पर उस लड़की ने कहा--"अगर आप मुझे नोटिस नहीं देंगी तो मुझे एक महीने की तनख़्वाह दे दीजिए। मैंने अपनी इज्ज़त में दाग़ नहीं लगाया। मैंने कुछ नहीं किया।"---कुछ नहीं किया!
बार्थिविक
अच्छा।
मिसेज़ बार्थिविक
नौकर अब बहुत सिर चढ़ गए हैं, वह सब इस बुरी तरह मिले रहते हैं, कि कुछ मालूम ही नहीं होता कि उनके मन में क्या है। ऐसा जान पड़ता है कि तुम्हें न मालूम हो इस लिए सबों ने गुट कर लिया हो। यहां तक कि मार्लो का भी यही हाल है। ऐसा मालूम होता है, कि वह अपने मन की असली बात किसी पर खुलने ही नहीं देता। मुझे इस छिपा चोरी से चिढ़ है। इससे फिर किसी पर भरोसा नहीं रहता। कभी कभी मेरा ऐसा जी चाहता है, कि उसका कान पकड़ कर हिलाऊं।
'जेक
मार्लो बहुत भलामानुस है। यह कोई अच्छी बात नहीं है, कि हमारी बातें हर एक आदमी जान ले।
बार्थिविक
इसकी तो चरचा न करना ही अच्छा है।
मिसेज़ बार्थिविक
सब नीच जातों का यही हाल है, तुम यह नहीं बतला सकते कि वह कब सच बोल रहे हैं। आज जब मैं होलीरूड के घर से चलने के बाद बाज़ार गई, तो इन बेकार आदमियों में से एक आकर मुझसे बात करने लगा। मैं समझती हूँ मुझमें और गाड़ी में केवल बीस गज़ का अंतर था। लेकिन ऐसा मालूम हुआ कि वह
सड़क फाड़कर निकल आया। बार्थिविक
अच्छा! आज कल किसी से बातचीत करने में बहुत होशियार रहना चाहिए। न जाने कैसा आदमी हो।
मिसेज़ बार्थिविक
मैंने उसे कुछ जवाब थोड़े ही दिया, लेकिन मुझे तुरंत मालूम हो गया, कि वह झूठ बोल रहा है।
बार्थिविक
[ एक अख़रोट तोड़कर ]
यह बड़ा अच्छा नियम है। उनकी आंखों को देखना चाहिए।
जेक
दादा, ज़रा सरौता।
'बार्थिविक
[ सरौता बढाकर ]
अगर उनकी निगाह सीधी होती हैं तो कभी कभी मैं छः पैंस दे देता है। यह मेरे नियम के विरुद्ध है, लेकिन इनकार करते तो नहीं बनता। अगर तुम्हें यह दिखाई दे कि वे सुस्त, काहिल, और कामचोर हैं; तो समझ लो कि शराबी या कुछ ऐसे ही हैं।
मिसेज़ बार्थिविक
इस आदमी की आंखें बड़ी डरावनी थीं वह ऐसे ताकता था, मानो किसी की ख़ून कर डालेगा। उसने कहा---मेरे पास आज खाने को कुछ नहीं है। ठीक इसी तरह।
बार्थिविक
विलियम क्या कर रहा था? उसे वहां खड़ा रहना चाहिए था।
जेक
[ अपनी गिलास नाक के पास लेजाकर ]
[ बार्थिविक गिलास को आंखों के पास किए हुए है। वह उसे नीचे करके नाक के पास ले जाता है। ]
मिसेज़ बार्थिविक
मुझे उन लोगों से घृणा है जो सच नहीं बोलते।
[ बाप और बेटे ग्लास के पीछे से आंखें मिलाते हैं ]
सच बोलने में लगता ही क्या है, मुझे तो यह बड़ा अासान मालूम पड़ता है। असली बात क्या है, इसका पता ही नहीं चलता। ऐसा मालूम होता है, जैसे कोई हमें बना रहा हो।
बार्थिविक
[ मानो फ़ैसला सुना रहा हो ]
नीची ज़ातें अपने पैरों में आप कुल्हाड़ी मारती हैं, अगर हमारे ऊपर भरोसा रक्खें तो उनकी दशा इतनी बुरी न हो।
मिसेज़ बार्थिविक
बार्थिविक
इस विषय में मैं वही करूंगा जो न्याय संगत है। अभी तीसरे पहर मैं रोपर से मिला था। मैंने यह माजरा उससे कहा, वह आ रहा होगा, यह सब खुफ़िया पुलीस के बयान पर है। मुझे तो बहुत संदेह है। मैंने इस पर बहुत विचार किया है।
मिसेज़ बार्थिविक
वह औरत मेरी आंखों में ज़रा भी नहीं जँची उसे किसी बात की शर्म ही नहीं मालूम होती थी। देखो वही मामला जिस की वह चर्चा कर रही थी। जब वह और उसका मर्द जवान थे। कैसी बेहयाई की बात थी और वह भी तुम्हारे और जैक के सामने। मेरा जी चाहता था कि उसे कमरे से निकाल दूं।
बार्थिविक
ओह! वह तो जैसे हैं----सब जानते हैं पर ऐसी बातों पर
ग़ौर करते समय हमें तो सोच लेना चाहिये--मिसेज़ बार्थिविक
शायद तुम कहोगे कि उस आदमी के मालिक ने उसे निकाल देने में ग़लती की?
बार्थिविक
बिलकुल नहीं। इस विषय में मुझे कोई संदेह नहीं है। मैं अपने दिल से यह पूछता हूं----
जैक
दादा, थोड़ी सी पोर्ट!
बार्थिविक
[ सूर्य के उदय और अस्त की ठीक ठीक नक़ल में बोतल को घुमाते हुए ]
जैक
अम्मा, शराब को ज़रा इधर दे दो।
मिसेज़ बार्थिविक
[ बोतल बढ़ाकर ]
क्यों बेटे, तुम बहुत ज़्यादा तो नहीं पी रहे हो?
[ जैक अपना गिलास भरता है ]
मार्लो
[ कमरे में आकर ]
जासूस स्नो आपसे मिलना चाहता है।
बार्थिविक
[ बेचैनी से ]
अच्छा, कहो अभी एक मिनट में आता हूँ।
मिसेज़ बार्थिविक
[ बग़ैर सिर घुमाए हुए ]
उसे यहीं बुला लो, मर्लो।
[ स्नो ओवर कोट पहिने अपनी बोलर हैट हाथ में लिए आता है ]
बार्थिविक
[ कुछ उठकर ]
आइये, बन्दगी।
स्नो
बन्दगी साहब! बन्दगी मेम साहब! मैं यह बतलाने आया हूं कि उस मामले में मैंने क्या किया। मुझे डर है, कि मुझे कुछ देर हो गई है मैं एक दूसरे मुक़दमे में चला गया था।
[ चाँदी की डिबिया जेब से निकालता है। बार्थिविक परिवार में सनसनी फैल जाती है ]
मैं समझता हूं यह ठीक वही चीज़ है।
बार्थिविक
ठीक वही, ठीक वही।
स्नो
बार्थिविक
शाबाश। आप भी एक गिलास पीजिये---
[ पोर्ट की बोतल को देखकर ]
शेरी की।
[ शेरी उंडेलता है,]
जैक, यह मिस्टर स्नो को दे दो।
[ जैक उठकर गिलास स्नो को दे देता है, तब अपनी कुर्सी पर पड़कर उसे आलस्य से देखता है। ]
स्नो
[ शराब पीकर और गिलास को नीचे रखकर ]
आपसे मिलने के बाद मैं उस औरत के डेरे पर गया। नीचों की बस्ती है। और मैंने सोचा कि ड्यौढ़ी के नीचे ही कानिस्टेबुल खड़ा
कर दूं। शायद ज़रूरत पड़े और मेरा विचार बिलकुल ठीक निकला। बार्थिविक
सच?
स्नो
जी हां। कुछ झमेला करना पड़ा। मैंने उससे पूछा कि तुम्हारे घर में यह चीज़ कैसे आई। वह मुझे कुछ जवाब न दे सकी। हां बराबर चोरी से इनकार करती रही। इस लिये मैंने उसे गिरफ़्तार कर लिया। तब उसका शौहर मुझसे उलझ पड़ा। आख़िर मैंने हमला करने के अपराध में उसे भी गिरफ़्तार कर लिया। घर से पुलीस स्टेशन तक जाने में वह बहुत गर्म होता रहा---बिल्कुल जामे से बाहर---बार बार आप को और आपके लड़के को धमकी देता था कि समझ लूँगा। सच पूछिये तो बड़ा फ़ितना निकला।
मिसेज़ बार्थिविक
स्नो
हां, मेम साहब, बड़ा ही उजड्ड असामी!
जैक
[ शराब की चुस्की लेता हुआ, मज़े में आकर ]
पाजी का सिर तोड़ दे।
स्नो
मैंने पता लगाया, पक्का शराबी है।
मिसेज़ बार्थिविक
मैं तो चाहती हूँ, बचा को कड़ी सज़ा मिले।
स्नो
दिल्लगी तो यह कि वह अभी तक यही कहे जाता है कि डिबिया मैंने ख़ुद चुराई।
बार्थिविक
[ मुसकिराता है ]
इसमें उसने क्या फ़ायदा सोचा है?
स्नो
वह कहता है कि छोटे साहब पिछली रात को नशे में थे।
[ जैक अखरोट तोड़ना बन्द करदेता है और स्नो की ओर ताकने लगता है। बार्थिविक की मुसकिराहट ग़ायब हो जाती है, गिलास रख देता है। सन्नाटा छा जाता है---स्नो बारी बारी से हरेक का चेहरा देखता है, और कहता है ]
वह मुझे अपने घर लाए और ख़ूब ह्विस्की पिलाई, मैंने कुछ खाया न था, नशा ज़ोर कर गया और उसी नशे में मैंने डिबिया उठा ली।
मिसेज़ बार्थिविक
गुस्ताख़, पाजी कहीं का!
बार्थिविक
स्नो
यही उसको सफ़ाई होगी। कह नहीं सकता बीबी को बचाने के लिए ऐसा कह रहा है, या
[ जैक की तरफ़ देखकर ]
इसमें कुछ तत्व भी है। इसका फ़ैसला तो मैजिस्ट्रेट के हाथ में है।
मिसेज़ बार्थिविक
[ गर्व से ]
तत्व भी है? किसमें क्या? आपका मतलब समझ में नहीं आता। आप समझते हैं मेरा लड़का ऐसे आदमी को कभी अपने घर नहीं लायेगा!
बार्थिविक
[ अंगीठी के पास से, शांत रहने की चेष्टा करके ]
मेरा लड़का अपनी सफ़ाई कर लेगा। अच्छा जैक, तुम क्या कहते हो?
मिसेज़ बार्थिविक
[ तीव्र स्वर में ]
वह क्या कहेगा? यही और क्या है कि सब मनगढ़ंत है।
जैक
[ दबसट में पड़ कर ]
बात यह है, बात यह है, कि मुझे इसके बारे में कुछ भी मालूम नहीं
मिसेज़ बार्थिविक
वह तो मैं पहिले ही कहती थी।
[ स्नो से ]
वह आदमी दीदा दिलेर बदमाश है।
बार्थिविक
[ अपने मन को दबाते हुए ]
स्नो
पर तो हमले का जुर्म लगाना होगा। मिस्टर जैक बार्थिविक भी पुलीस कचहरी चले आयें तो बड़ा अच्छा हो। बचा जेल जायँगे, यह तो मानी हुई बात है। विचित्र बात यह है कि उसके पास कुछ रुपये भी निकले और एक लाल रेशमी थैली भी थी।
[ बार्थिविक चौंक पड़ता है; जैक उठता है, फिर बैठ जाता है। ]
मेम साहब की थैली तो नहीं ग़ायब हो गई?
बार्थिविक
[ जल्दी से ]
नहीं, नहीं, उनकी थैली नहीं खोई।
जैक
नहीं, थैली तो नहीं गई।
मिसेज़ बार्थिविक
[ मानो स्वप्न देखते हुए ]
[ स्नो से ]
मैं नौकरों से पता लगा रही थी। यह आदमी घर के आस पास चक्कर लगाया करता है। अगर लंबी सज़ा मिल जाय तो खटका निकल जाय। ऐसे बदमाशों से हमारी रक्षा तो होनी ही चाहिये।
बार्थिविक
हां, हां, ज़रूर। यह तो सिद्धान्त की बात है। लेकिन इस मामले में हमें कई बातों पर विचार करना है।
[ स्नो से ]
इस आदमी पर तो मुक़दमा चलाना ही चाहिये, क्यों, आप भी तो यही कहते हैं?
स्नो
बार्थिविक
[ जैक की ओर उदास भाव से ताकते हुए ]
मेरी इच्छा नहीं होती कि यह मुक़दमा चलाया जाय। ग़रीबों पर मुझे बड़ी दया आती है। अपने पद का विचार करते हुए यह मानना मेरा कर्तव्य है कि ग़रीबों की हालत बहुत ख़राब है। इनकी दशा में बहुत कुछ सुधार की ज़रूरत है। आप मेरा मतलब समझ रहे होंगे। अगर कोई ऐसी राह निकल आती कि मुक़दमा न चलाना पड़ता तो बड़ी अच्छी बात होती।
मिसेज़ बार्थिविक
[ तीव्र स्वर में]
यह क्या कहते हो जाँन? तुम दूसरों के साथ अन्याय कर रहे हो। इसका आशय तो यह है कि हम जायदाद को लोगों की दया पर
छोड़ दें। जिसका जी चाहे ले ले। बार्थिविक
[ उसे इशारा करने की चेष्टा करके ]
मैं यह नहीं कहता कि उसने अपराध नहीं किया। मैं इसके सब पहलुओं पर सोच रहा हूँ।
मिसेज़ बार्थिविक
यह सब फजूल, हर काम का वक्त होता है।
स्नो
[ छकु बनावटी आवाज़ में ]
मैं यह बता देना चाहता हूँ जनाब, कि चोरी का इलज़ाम उठा लेने से कोई फ़ायदा न होगा, क्योंकि हमले के मुक़दमें में सभी बातें खुल ही जायँगी।
[ जैक की ओर मार्मिक दृष्टि से देखता है ]
बार्थिविक
[ जल्दी से ]
हाँ, हाँ, यह तो होगा ही। उस स्त्री के विचार से मैं कह रहा हूं, यह तो मेरा अपना ख्याल है।
स्नो
अगर मैं आप की जगह होता तो इस मामले में ज़रा भी दखल न देता। इस में कोई बाधा पड़ने का भय नहीं है। ऐसे मामले में चट पट तय हो जाते हैं।
बार्थिविक
[ संदेह के भाव से ]
अच्छा, यह बात? अच्छा, यह बात है?
जैक
[ सचेत होकर ]
अच्छा! मुझे अपने बयान में क्या कहना पड़ेगा?
स्नो
[ दरवाजे तक जाकर ]
शायद कोई नई बात खड़ी हो जाय। अच्छा यह है कि आप एक वकील कर लीजिये। हम ख़ानसामा को यह साबित करने के लिए तलब करेंगे कि चीज़ वास्तव में चोरी गई। अब मुझे आज्ञा दीजिये, मुझे आज बहुत काम है। ग्यारह बजे के बाद किसी समय मुक़दमा पेश होगा। बंदगी हुजूर, बंदगी मेम साहब! मुझे कल यह डिबिया अदालत में पेश करनी पड़ेगी, इस लिए यदि आपको कोई आपत्ति न हो तो मैं इसे अपने साथ लेता जाऊं।
[ वह डिबिया उठा लेता और सलाम करले चला जाता। बार्थिविक उसके साथ जाने के लिए उठता है, और अपने हाथों को कोट के पीछे रखकर निराश होकर बोलता है ]
मैं चाहता हूँ कि तुम इन बातों में दखल न दिया करो। मगर तुम्हारी ऐसी आदत है कि समझो या न समझो दख़ल हरेक बात
में दोगी। मारा--सब मामला चौपट कर दिया। मिसेज़ बार्थिविक
[ रुखाई से ]
मेरी समझ में नहीं आता तुमहारा मतलब क्या है। अगर तुम अपने हक़ के लिए नहीं खड़े हो सकते, तो मैं तो खड़ी हो सकती हूँ। मुझे तुम्हारे सिद्धान्त ज़रा भी नहीं भाते। उन्हें लेकर तुम चाटा करो।
बार्थिविक
सिद्धान्त! तुम हो किस फेर में। सिद्धान्तों की यहाँ चर्चा ही क्या? क्या तुम्हें मालूम नहीं कि पिछली रात को जैक नशे में चूर था?
जैक
अब्बा जान!
मिसेज़ बार्थिविक
[ भयभीत होकर खड़ी हो जाती है ]
जैक
कोई बात नहीं है, अम्मा। मैंने केवल भोजन किया था। सभी खाते हैं। मेरा मतलब है, यानी मेरा मतलब है---आप मेरा मतलब समझ गई होंगी। इसे नशे में चूर होना नहीं कहते। आक्सफ़ोर्ड में तो सभी मुँह का मज़ा बदल लिया करते हैं।
मिसेज़ बार्थिविक
यह बड़ी बेहूदा बात है। अगर तुम लोग आक्सफ़ोर्ड में यही सब किया करते हो---
जैक
[ क्रोध से ]
तो फिर आप लोगों ने मुझे वहाँ भेजा क्यों? जैसे और सब रहते हैं वैसेही तो मुझे भी रहना पड़ेगा। इतनी सी बात को नशे में चूर कहना हिमाकत। हाँ, मुझे खेद अवश्य है। आज दिन भर सिर में बड़ा दर्द रहा।
बार्थिविक
छी! अगर तुम्हें मामूली सी तमीज़ भी होती और तुम्हें इतना सा भी याद होता कि जब तुम यहाँ आए तो क्या क्या बातें हुईं तो हमें मालूम हो जाता कि इस बदमाश की बातों में कितना सच है। मगर अब तो कुछ समझ में ही नहीं आता। गोरख धंधा सा होकर रह गया!
जैक
[ घूरता हुआ मानो अधूरी बातें याद आ रही हैं ]
कुछ कुछ याद आता है---फिर सब भूल जाता हूँ।
मिसेज़ बार्थिविक
जैक
यह बात नहीं है, अम्मा। मुझे यहा आने की ख़ूब याद है---मैं ज़रूर आया हूंगा---
बार्थिविक
[ गुरसे से बेक़ाबू होकर, इधर से उधर तक टहलता हुआ ]
ख़ूब!और वह मनहूस थैली कहां से आगई! खुदा खैर करे! ज़रा सोचो तो जैक! यह सारी बातें पत्रों में निकल जायँगी। किसी को मालूम था कि मामला यहां तक पहुँचेगा। इससे तो यह कहीं अच्छा होता कि एक दर्जन डिबिये खो जातीं और हम लोग ज़बान न खोलते!
[ पत्नी से ]
यह सब तुम्हारी करतूत है। मैंने तुमसे पहले ही कह दिया था। अच्छा हो कहीं रोपर आ जाता।
मिसेज़ बार्थिविक
( तीव्र स्वर से )
बार्थिविक
[ उसकी तरफ़ मुड़ कर ]
नहीं तुम! अजी---तुम---तुम कुछ जानती नहीं।
[ तेज़ आवाज़ से ]
आखिर! वह रोपर कहां मर गया! अगर वह इस दलदल से निकलने की कोई राह निकाल दे, तो मैं जानूँ कि वह किसी काम का आदमी है! मैं बदकर कहता हूँ कि इससे निकलने का अब कोई रास्ता नहीं है। मुझे तो कुछ सूझता नहीं।
जैक
इधर सुनिये, अब्बाजान को क्यों दिक करती हो? मैं केवल इतना ही कह सकता हूँ कि मैं थक कर बेदम हो गया था, और मुझे इसके सिवा कुछ याद नहीं है कि मैं घर आया।
[ बहुत मंद स्वर में ]
बार्थिविक
पलंग पर चले गये? कौन जानता है तुम कहां चले गये मुझे तुम्हारे ऊपर अब विश्वास नहीं रहा। मुझे क्या पता कि तुम ज़मीन पर पड़ रहे होगे।
जैक
[ बिगड़ कर ]
ज़मीन पर नहीं, मैं----
बार्थिविक
[ सोफ़ा पर बैठ कर ]
इसकी किसे परवाह है कि तुम कहां सोये थे? उस वक्त क्या होगा जब वह कह देगा......डूब मरने की बात होगी!
मिसेज़ बार्थिविक
क्या?
[ सन्नाटा ]
जैक
कुछ नहीं----
मिसेज़ बार्थिविक
कुछ नहीं। कुछ नहीं इससे तुम्हारा क्या मतलब है, जैक? तुम्हारे दादा इसके लिए आसमान सिर पर उठा रहे हैं---
जैक
वह थैली मेरी है।
मिसेज़ बार्थिविक
तुम्हारी थैली? तुम्हारे पास थैली कब थी? तुम ख़ूब जानते हो तुम्हारे पास थैली न थी।
जैक
मिसेज़ बार्थिविक
तुम्हारा मतलब है कि क्या किसी दूसरे की थेली थी और उसे इस बदमाश ने उड़ा ली?
बार्थिविक
जी हां! थैली उसने उड़ा ली। जोन्स वह आदमी नहीं है कि इस बात पर परदा डाल दे। वह इसे ख़ूब नमक मिर्च लगाकर बयान करेगा। समाचारपत्रों में इसकी चर्चा होगी।
मिसेज़ बार्थिविक
मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा है। किस बात का यह सब क़िस्सा है?
[ जैक के ऊपर झुककर प्यार से ]
जैक, बेटा, बताओ तो क्या बात है। डरो मत। साफ़ साफ़ बतादो, बात क्या है?
जैक
मिसेज़ बार्थिविक
कैसी बात, बेटा?
जैक
कुछ नहीं, यों ही। मुझे कुछ याद नहीं कि वह चीज़ मेरे पास कैसे आगई। मुझसे और उससे एक पकड़ हो गई---मुझे कुछ ख़बर न थी कि मैं क्या कर रहा हूँ---मैंने-मैंने---शायद मैंने---तुम समझ गई होगी---शायद मैंने थैली उसके हाथ से छीन ली।
मिसेज़ बार्थिविक
उसके हाथ से? किसके हाथ से? कैसी थैली? किसकी थैली?
जैक
अजी, मुझे कुछ याद नहीं----
[ निराश और ऊंची आवाज़ में ]
किसी औरत की थैली थी।
मिसेज़ बार्थिविक
किसी औरत की? नहीं! नहीं! जैक! ऐसा न कहो।
जैक
[ उछल कर ]
तुम मानती ही नहीं थी तो मैं क्या करता। मैं तो नहीं बताना चाहता था। मेरा क्या क़सूर है?
[ द्वार खुलता है और मारलो एक आदमी को अंदर लाता है अधेड़, कुछ मोटा आदमी है। शाम के कपड़े पहने हुए है। मूछें लाल और पतली हैं, आंखें काली और तेज़। उसकी भवें चीनियों की सी हैं। ]
मारलो
रोपर साहब आये हैं हुज़ूर!
[ वह कमरे से चला जाता है ]
रोपर
[ तेज़ आँखों से चारों ओर देख कर ]
[ जैक और मिसेज़ बार्थिविक दोनों चुप बैठे रहते हैं ]
बार्थिविक
[ जल्दी से आकर ]
शुक्र है आप आ तो गए! आप को याद है मैंने आज शाम को आप से क्या कहा था; जासूस अभी यहां आया था।
रोपर
डिबिया मिल गई?
बार्थिविक
[ वह जैक की तरफ़ हाथ उठाता है, जो ऐसा दबक जाता है मानों वार बचाता हो ]
आप को कभी इसका विश्वास होगा।
[ रोपर हंसता है और उत्तेजित हो कर शब्दों पर ज़ोर देता हुआ ]
यह हँसी की बात नहीं है मैंने जैक का क़िस्सा भी आप से कहा था। आप समझ गए होंगे---बदमाश दोनों चीजें उठा ले गया---वह सत्यानासी थैली भी लेगया। अखबारों में इसकी चर्चा होगी।
रोपर
[ भवें चढ़ाकर ]
हूँ! थैली! बड़े लोगों की दशा? आपके साहबज़ादे क्या कहते हैं?
बार्थिविक
मिसेज़ बार्थिविक
[ हाथों से आंखों को छिपाकर ]
नहीं! नहीं! यह बात तो नहीं हैं---
[ बार्थिविक और रोपर घूम कर उसकी ओर देखने हैं ]
बार्थिविक
उस औरत पर कह रही हैं। वह बात अभी अभी इनके कानों में पड़ी है।
[ रोपर सिर हिलाता है और मिसेज़ बार्थिविक अपने होंठों को दबाकर मन्द दृष्टि से जैक को देखती है और मेज़ के सामने बैठ जाती है ]
आखिर, क्या करना चाहिए रोपर? वह लुच्चा जोन्स इस थैली वाले मामले को खूब बढ़ावेगा, बात का बतंगड़ बनादेगा।
मिसेज़ बार्थिविक
बार्थिविक
क्या अब भी कोई संदेह है? वह औरत अाज सवेरे अपनी थैली माँगने आई थी।
मिसेज़ बार्थिविक
यहां? इतनी बेहया है। मुझे क्यों नहीं बताया?
[ वह एक दूसरे के चेहरे की तरफ़ ताकती है, कोई उसे जवाब नहीं देता। सन्नाटा हो जाता है। ]
बार्थिविक
[ चौंककर ]
क्या करना होगा, रोपर?
रोपर
[ धीरे से जैक से ]
तुमने कुंजी तो दरवाज़े में नहीं छोड़ दी थी?
जैक
[ रुखाई से ]
बार्थिविक
या ईश्वर! अभी और आगे न जाने क्या क्या होगा?
मिसेज़ बार्थिविक
मुझे विश्वास है कि तुम उसे घर में नहीं लाए,थे। जैक। यह सरासर झूठी बात है मैं जानती हूँ इसमें सचाई की गंध तक नहीं है, मिस्टर रोपर।
रोपर
( यकायक )
तुम रात कहां सोए थे?
जैक
( तुरन्त )
( कुछ हिचिक कर )
यानी---मैं---
बार्थिविक
सोफ़ा पर! क्या तुम्हारा मतलब यह है कि चारपाई पर गए ही नहीं।
जैक
( मुँह लटका कर )
नहीं।
बार्थिविक
अगर तुम्हें कुछ भी याद नहीं है तो यह इतना कैसे याद रहा?
जैक
क्यों कि आज सुबह मेरी आँख खुली तो मैंने अपने को वहीं पाया।
मिसेज़ बार्थिविक
बार्थिविक
या खुदा!
जैक
और मिसेज़ जोन्स ने मुझे देखा! मैं चाहता हूँ कि आप लोग मुझे यों दिक़ न करें।
रोपर
आपको याद है कि आपने किसी को शराब पिलाई थी?
जैक
हाँ, मैं क़सम खाकर कहता हूँ कि मुझे एक आदमी की याद आ रही है---उस आदमी के---
[ रोपर की तरफ़ देखता है ]
क्या आप मुझसे चाहते हैं कि---
रोपर
[ बिजली की तेज़ी से ]
जैक
[ प्रसन्न होकर ]
हाँ, वही वही! मुझे साफ़ याद आ रहा है---
[ बार्थिविक अचानक खिसक जाता है ]
मिसेज़ बार्थिविक क्रोध से रोपर की तरफ़ देखती है और अपने बेटे की बाँह छूती है।
मिसेज़ बार्थिविक
तुमको बिलकुल याद नहीं ह! यह कितनी हँसी की बात है। मुझे उस आदमी के यहाँ आने का बिलकुल विश्वास नहीं है।
बार्थिविक
जैक
[ उनकी तरफ़ घूर कर ]
आख़िर आप लोग मुझसे चाहते क्या हैं?
मिसेज़ बार्थिविक
जैक!
जैक
जी हाँ, मेरी समझ में बिलकुल नहीं आता कि आप लोगों की इच्छा क्या है।
मिसेज़ बार्थिविक
हम लोग यही चाहते हैं कि तुम सच बोलो और कह दो कि तुमने उस नीच को घर में नहीं बुलाया।
बार्थिविक
बेशक, अगर तुम ख़याल करते हो, कि तुमने इस बेशरमी से उसे ह्विस्की मिलाई और अपनी कर तूत उसे दिखाई और तुम्हारी दशा इतनी ख़राब थी कि तुम्हें वें बातें बिलकुल याद नहीं, तो---
रोपर
[ जल्दी से ]
मुझे ख़ुद कोई बात याद नहीं रहती। याददाश्त इतनी कमज़ोर है।
बार्थिविक
[ निराशा भाव से ]
तो मैं नहीं जानता कि तुम्हें क्या कहना पड़ेगा!
रोपर
[ जैक से ]
मिसेज़ बार्थिविक
तुमने दरवाज़े में कुंजी लगी हुई छोड़ दो, यही क्या कम है? अब और कुछ कहने की ज़रूरत नहीं।
[ उसके माथे को प्यार से छुकर ]
तुम्हारा सिर आज कितना गर्म है?
जैक
लेकिन मुझे यह तो बतलाइए कि मुझे करना क्या होगा?
[ क्रोध से ]
मैं नहीं चाहता, कि इस तरह चारों ओर से मुझे दिक़ करें।
[ मिसेज़ बार्थिविक उसके पास से हट जाती है। ]
रोपर
[ जल्दी से ]
जैक
क्या कल मेरा कचहरी जाना जरूरी है?
रोपर
[ सिर हिला कर ]
नहीं।
बार्थिविक
[ ज़रा शान्तचित्त होकर ]
सचमुच!
रोपर
जी हाँ!
बार्थिविक
लेकिन आप तो जायँगे?
रोपर
जैक
[ बनावटी प्रसन्नता से ]
बड़ी इनायत है! में यही चाहता हूँ कि मुझे वहाँ जाना न पड़े।
[ सिर पर हाथ रखकर ]
मुझे क्षमा कीजिएगा। अाज सिर में ज़ोरों का दर्द है।
[ बाप की तरफ़ से माँ की तरफ़ देखता है ]
मिसेज़ बार्थिविक
[ जल्दी से घूम कर ]
अच्छा, जाओ बेटा!
जैक
अच्छा, अम्माँ!
[ वह चला जाता है। मिसेज़ बार्थिविक लम्बी सांस खींचती है। सन्नाटा हो जाता है। ]
बार्थिविक
यह बहुत सस्ते छूट गए! अगर मैंने उस औरत को रुपए न दिए होते, तो उसने ज़रूर दावा किया होता।
रोपर
अब आपको मालूम हुआ कि धन कितना उपयोगी है।
बार्थिविक
मुझे अब भी सन्देह है कि हमें सच को छिपा देना चाहिए या नहीं।
रोपर
चालान होगा।
बार्थिविक
क्या? आपका मनशा है कि इन्हें अदालत में जाना पड़ेगा?
रोपर
बार्थिविक
अच्छा! मैंने समझा था कि आप---देखिए मिस्टर रोपर! उस थैली का ज़िक्र मिस्टर काग़ज़ों में न आने दीजिएगा।
[ रोपर अपनी छोटी आँखें उसके चेहरे पर जमा देता है और सिर हिलाता है। ]
मिसेज़ बार्थिविक
मिस्टर रोपर, क्या आपके ख़याल में यह मुनासिब नहीं है कि जोन्स परिवार का हाल मैजिस्ट्रेट से कह दिया जाय। मेरा मतलब यह है कि शादी के पहले उनका आपस में कितना अनुचित सम्बन्ध था। शायद जॉन ने आप से नहीं कहा।
रोपर
यह तो कोई मार्के की बात नहीं।
मिसेज़ बार्थिविक
मार्के की बात नहीं।
रोपर
निजी बात है। शायद मैजिस्ट्रेट पर भी यही बीत चुकी हो।
बार्थिविक
[ पहलू बदल कर, मानो बोझ खिसका रहा है ]
तो अब आप इस मामले को अपने हाथ में रखेंगे?
रोपर
अगर ईश्वर की कृपा हुई!
[ हाथ बढ़ाता है ]
बार्थिविक
[ विरक्त भाव से हाथ हिलाकर ]
रोपर
जी हाँ! ऐसा ही मेरे पास एक दूसरा मुक़दमा भी है।
[ मिसेज़ बार्थिविक का झुककर सलाम करता है और चला जाता है। बार्थिविक उसके पीछे-पीछे अन्त तक बातें करता जाता है। मिसेज़ बार्थिविक मेज़ पर बैठी हुई सिसक-सिसक कर रोने लगती है; बार्थिविक लौटता है। ]
बार्थिविक
[ आप ही आप ]
बदनामी होगी।
मिसेज़ बार्थिविक
[ तुरत अपने रंज को छिपाकर ]
मेरी समझ में यह बात नहीं आती कि रोपर ने ऐसी बात को हँसी में क्यों उड़ा दिया?
बार्थिविक
[ विचित्रभाव से ताक कर ]
मिसेज़ बार्थिविक
[ क्रोध से ]
तुम मुझसे कहते हो कि मुझ में समझ नहीं है?
बार्थिविक
[ घबड़ा कर ]
मैं---बहुत परेशान हूं। सारी बात आदि से अन्त तक मेरे सिद्धान्त के विरुद्ध हैं।
मिसेज़ बार्थिविक
मत बको। तुम्हारा कोई सिद्धान्त भी है। तुम्हारे लिए दुनिया में डरने के सिवा और कोई सिद्धान्त नहीं है।
बार्थिविक
[ खिड़की के पास जाकर ]
मैं अपनी ज़िन्दगी में कभी न डरा। तुमने सुना है, रोपर क्या कहता था? जिस आदमी के घर में ऐसी वारदात हो गई हो, उसके होश उड़ा देने को इतनी बात काफ़ी है। हम जो कुछ कहते या करते हैं, वह हमारे मुँह से निकल ही पड़ता है। भूत-सा सिर पर सवार रहता है। मैं इन बातों का आदी नहीं हूँ।
[ वह खिड़की को खोल देता है मानो उसका दम घुट रहा हो। किसी लड़के के सिसकने की धीमी आवाज़ सुनाई देती है। ]
यह कैसी आवाज़ है?
[ वे सब कान लगा कर सुनते हैं। ]
मिसेज़ बार्थिविक
[ तीव्र स्वर में ]
मुझसे रोना नहीं सुना जाता। मैं मार्लो को भेजती हूँ कि इसे रोक दे। मेरे सारे रोएँ खड़े हो गए।
[ घंटी बजाती है ]
बार्थिविक
मैं खिड़की बन्द किए देता हूँ, फिर तुम्हें कुछ न सुनाई देगा।
[ वह खिड़की बन्द कर देता है और सन्नाटा हो जाता है। ]
मिसेज़ बार्थिविक
[ तीव्र स्वर में ]
इससे कोई फ़ायदा नहीं। मेरा दिल धड़क रहा है। मुझे किसी बात से इतनी घबड़ाहट नहीं होती, जितनी किसी बालक के रोने से।
[ मार्लो आता है ]
यह कैसा रोने का शोर है मार्लो? किसी बच्चे की अावाज़ मालूम होती है।
बार्थिविक
मार्लो
[ खिड़की खोलकर और बाहर देखकर ]
यह मिसेज़ जोन्स का छोटा लड़का है, हज़ूर! अपनी माँ को खोजता हुअा यहाँ आया है।
मिसेज़ बार्थिविक
[ जल्दी से खिड़की के पास जाकर ]
कैसा गरीब लड़का है! जॉन, हमें यह मुकदमा न चलाना चाहिए।
बार्थिविक
[ एक कुर्सी पर धम से बैठकर ]
लेकिन अब तो बात हमारे हाथ से निकल गई!
[ मिसेज़ बार्थिविक खिड़की की तरफ़ पीठ कर लेती है, उसके चेहरे पर बेचैनी का भाव दिखाई देता है, वह अपने ओंठ दबाए खड़ी होती है। रोना फिर शुरू हो जाता है। बार्थिविक हाथों से अपने कान बन्द कर लेता है। और मार्लो खिड़की बन्द कर देता है। रोना बन्द हो जाता है। ]
पर्दा गिरता है।