इतिहास तिमिरनाशक 2/लार्ड मिन्टो

इतिहास तिमिरनाशक भाग 2
राजा शिवप्रसाद 'सितारे हिंद'

लखनऊ: नवलकिशोर प्रेस, पृष्ठ ३९ से – ४१ तक

 

लार्ड मिन्टो

आख़िर जुलाई सन् १८०० में लार्डमिन्टो गवर्नर जेनरल १८०० ई० मुक़र्रर होकरआया। और सर जार्जबाली लार्डबेंटिंक के उहदे पर मंदराज चला गया। लार्डमिन्टो को पांच बरसतक कुछ फ़ौज बुंदेलखंड में रखनी पड़ी सन १८१२ में कालिंजर का क़िला हाथ लगा। और वहां का बखेड़ा तै हुआ।

सर्कारकी फरासीसके मशहूर शाहन्शाह नेपोलियन बोना- पार्ट की तरफ़ से हिन्दुस्तान पर हमला होने का खटकाथा और इनदिनोंमें उसका एक वकील भी बड़ी धूमधाम से ईरान के बादशाह के पास आया था। इसलिये लाडमिन्टो ने बीच के मुलकवाले यानी पंजाब और अफ़ग़ानिस्तान और ईरान के मालिकों से कोल करार कर लेना मुनासिब समझा।

पंजाब में रंजीतसिंह सिक्खों का गजा बन बैठाया। और हर तरफ़से मुल्क दबाता चलाजाताथा। यहाँतककि सतलज इस पार अपनी फ़ौजें उतार लाया। और जमना को अपनेराज को सर्हद्द बनाना चाहा। जब लार्ड मिन्टो की तरफ से १८०८ ई० चार्लसमिटकाफ़उसके पास पहुंचा। वह इसके समझानेको पहले


  • विलायत से इस किताब में सब जगह इंगलिस्तान की

विलायत समझना चाहिये।
तो कुछ ख़याल में नहीं लाया। लेकिन अकृरलोनी का फ़ौज समेत लुधियाने में पहुंचना सुनकर इस तरफ़ से बिल्कुल निरास हो गया। और सतलज को सरहद मानकर पच्चीसवीं १८०९ ई० अप्रेल सन् १८०९ मैदोस्तीके अ़हदनामेपर दस्तखत करदिया।

अ़फ़्ग़ानिस्तान के तख़त पर अहमदशाह दुर्रानी का पोता शुजाउलमुलुक था। उस के पास लार्डमिन्टो की तरफ से मोंटस्टुअष्ट एलफिन्स्टन पहुंचा। शुजाउलमुलक ने बड़ी खातिरी की लेकिन दोस्ती लिये सर्कार से मदद के तौर पर कुछ रुपया मांगा वह लार्ड मिन्टो ने मंजूर नहीं किया। ईरान में इंगलिस्तान के खुद बादशाहकी तरफसे वकील आया ओर यहाँ से भी सरजान मालकम भेजा गया।

मंदराज की फौज में सिपाहियों के देरोंके खर्च का अफ्सरों कोठीके के तौर पर कुछ मुक़र्रर चलाआताथा। सरजार्जगालीने इस तरीके को मोकूफ़ करना चाहा। इसमेंऔरकई औरभीबातों में फ़ौजी और मुलकी साहिबों के दिलों के दर्मियान फर्कळ आ गया। गवर्नरकोबादशाहीफ़ोज और हिन्दुस्तानीसिपाहियों पर भरोसा था। हुक्मदिया कि कम्पनी को पलटनोंमज़िनकोत्तरफ से खटका पैदा हुआथा गोरे और सिपाहो अपनेअफसरोंसेजुदा कर दिये जायें इस पर श्रीरंग पट्टन में अफसरों नेबलवा किया बादशाही फ़ौज को किले से बाहर निकाल दिया। और बाहर छावनी पर गोला चलाना शुरू किया। चितलदुर्ग को सर्कारो फ़ौज भी इनके शामिल होने को आती थी। लेकिनबादशाही के रिसाले ने रास्ते ही में छितर बितर कर दी। हैदराबाद में भी सर्कारी फ़ौज सर्कशी पर मुस्ताइद हुई थी और जलना और मौसलीपट्टन की फौज को शामिल होने के लिये चिट्ठी भेजीथी। लेकिन फिरकुछसमझ गयी। कुसूरमुफ चाहा। लार्डमिन्टो उस वक्त मंदराज में था। बीस अफसरों को मौकूफ़ किया। बाकी का कुसूर मुआफ कर दिया।

१८१३ ई० सन् १८१३ में सार्कार कम्पनी को पार्लीमिंट से इस मुल्क की नयीं सनदमिली। और उसकीशर्त्तों के बमुजिब इंगलिस्तान
के तमाम सौदागरों को इस मुल्क में तिजारत करने को इजाज़त हासिल होगयी। उसी साल के आखिर में लार्डमि- न्टो अपने काम से मुस्ताफ़ी हुआ। और अर्ल आफ माइरा गवर्नर जेनरल मुकर्रर होकर आया।