अयोध्या का इतिहास/उपसंहार/(ड) शिशुनाक वंश

प्रयाग: हिंदुस्तानी एकेडमी, पृष्ठ २३३

 

 

उपसंहार (ड)
शिशुनाक वंश

१—शिशुनाक[] ४० वर्ष (ई॰ पू॰ ७८२ से ई॰ पू॰ ७४२ तक)।

२—काकवर्म (शकवर्म) ३६ वर्ष (ई॰ पू॰ ७४२ से ७०६ तक)।

३—क्षेमधर्मन् ३८ वर्ष (ई॰ पू॰ ७०६ से ई॰ पू॰ ६६८ तक)।

४—क्षत्रोजस् (क्षेत्रज्ञ) ४० वर्ष (ई॰ पू॰ ६६८ से ई॰ पू॰ ६२८ तक)।

५—बिम्बिसार ३८ वर्ष (ई॰ पू॰ ६२८ से ई॰ पू॰ ५९० तक)।

६—अजातशत्रु २७ वर्ष (ई॰ पू॰ ५९० से ई॰ पू॰ ५६३ तक)।

७—दर्शक (दर्भक) २५ वर्ष (ई॰ पू॰ ५६३ से ई॰ पू॰ ५३८ तक)।

८—उदयिन (उदयाश्व) ३३ वर्ष (ई॰ पू॰ ५३८ से ई॰ पू॰ ५०५ तक)। इसी ने कुसुमपुर बसाया था।

९—नन्दिवर्द्धन ४२ वर्ष (ई॰ पू॰ ५०५ से ई॰ पू॰ ४६३ तक)।

१०—महानन्दिन्[] ४३ वर्ष (ई॰ पू॰ ४६३ से ई॰ पू॰ ४२० तक)।

इस वंश में १० राजा हुये जिन्होंने सब मिल कर १६२ वर्ष राज किया।

  1. विष्णुपुराण में शिशुनाक नन्दिवर्द्धन का पुत्र लिखा है।
  2. महानन्दिन् के शूद्रा के गर्भ से अति लोभी महापद्मनन्द की हुआ जिसने क्षत्रियवंश का नाश किया।