अंतर्राष्ट्रीय ज्ञानकोश/जिन्ना की १४ माँगें

अन्तर्राष्ट्रीय ज्ञानकोश
रामनारायण यादवेंदु

पृष्ठ १३४ से – १३५ तक

 

जिन्ना की १४ माँगें--सन् १९३८-३९ के बीच, साम्प्रदायिक समस्या को हल करने के सम्बन्ध मे ,गांधीजी, सुभास बाबू, पं० जवाहरलाल नेहरू तथा श्री मुहम्मद अली जिन्ना के बीच, समय-समय पर जो पत्र-व्यवहार हुआ था, उससे यह ज्ञात होता हैं कि साम्प्रदायिक समझौता होने से पूर्व मुसलिम लीग नीचे लिखी शर्तो की पूर्ती आवश्यक समझती थी:-

(१)मुसलिम-लीग की उन माॅगों की स्वीकृति जो सन् १९२६९ मे निर्धारित की गई थी।

(२)काग्रेस न तो साम्प्रादायिक निर्णय (कम्युनल ऐवार्ड) का विरोध करे और न उसे राष्ट्रीयता-विरोधी बतलावे।

(३)सरकारी नौकरियो मे मुसलमानों का प्रतिनिधित्व शासन-विधान द्वारा निर्धिरित कर दिया जाय।

(४)कानून द्वारा मुसलमानों के ज़ाती क़ानून (Personal Law) और संस्कृति की रक्षा की जाय।

(५)शहीदगज की मसजिद वाले आंदोलन मे कांग्रेस भाग न ले और अपने नौतिक प्रभाव से उसके मिलने मे मुसलमानो की सहायता करे।

(६)अज़ाॅ, नमाज़ और मुसलमानो की धार्मिक स्वाधीनता के अधिकार मे किसी प्रकार की बाधा न डाली ज़ाय। (७)मुसलमानो को गो-वध की स्वाधीनता रहे।

(८)प्रान्तो के पुनर्निर्माण में उन प्रदेशो में कोई परिवर्तन न किया जाय जहाॅ पर मुसलनमान बहुसंख्या में हैं।

(६)'वन्देमातरम्' राष्ट्रीय गायन का परित्याग किया जाय।

(१०)मुसलमान लोग उर्दू को भारत की राष्ट्रभाषा बनाना चाहते है, अतः उर्दू का न तो प्रयोग कम किया जाय और न उसे किसी प्रकार की क्षति ही पहुँचायी जाय।

(११)स्थानीय संस्थाओ मे मुसलमानो का प्रतिनिधित्व ,साम्प्रदायिक निर्णय के आधार पर, हो।

(१२)तिरंगा झणडा या तो बदल दिया जाय या मुसलिम लीग के झणडे को बराबरी का स्थान दिया जाय।

(१३)मुसलिम लीग को मुसलमानो की एकमात्र प्रतिनिधि संस्था स्वीकार किया जाय ।

(१४)प्रान्तो मे संयुक्त मंत्रिमण्डल बनाये जाएँ।

'पाकिस्तान' की माँग के आगे ,कदाचित्, ये माँगें अब व्यर्थ हो गई हैं।