अंतर्राष्ट्रीय ज्ञानकोश/गोरिंग, हरमैन विलहैल्म

अन्तर्राष्ट्रीय ज्ञानकोश
रामनारायण यादवेंदु

पृष्ठ १०६ से – १०८ तक

 

गोरिग्, हरमैन विलहैल्म-–गोरिंग का स्थान जर्मनी में हिटलर के बाद है। १२ जनवरी १८९३ मे जन्म हुआ। विगत युद्ध में जर्मन हवाई सेना में भाग लिया। गोरिंग् को स्कूल का वातावरण अच्छा नहीं लगता था और न पढ़ने मे ही उसकी रुचि थी। उसके पिता ने उसे, इसलिए, एक सैनिक स्कूल मे भर्ती करा दिया। सन् १९१३ मे बर्लिन की मिलिटरी ऐकेडेमी से उसे लेफ्टिनेट की पदवी मिली। विगत विश्वयुद्ध मे वह बड़ी वीरता से लड़ा। जुलाई १९२८ में वह अपने शौर्य के बल पर जर्मन हवाई सेना का सेनापति नियुक्त किया गया। इसके बाद वह स्वीडन गया और वहॉ वायुयान-सचालन की शिक्षा दी। परन्तु इससे उसे सन्तोष न हुआ। वहाँ उसने एक धनी स्वीडिश कन्या से विवाह किया। अपनी स्त्री के परामर्श से वह जर्मनी वापस आया। सन् १९२२ में वह म्युनिख में सबसे पहली बार हिटलर से मिला। वह हिटलर के असाधारण व्यक्तित्व से अत्यन्त प्रभावित हुआ। एक सभा में हिटलर को भाषण देते हुए सुनकर गोरिंग् ने अपने मन मे कहा--“यह है वह व्यक्ति

जो जर्मनी को पुनः वैभव के शिखर पर पहुँचा सकता है।" तब से ही गोरिंग् हिटलर का दाहिना हाथ बना हुआ है। म्युनिख़ मे, सन् १९२३ मे, पुलिस-घेरे के विरुद्ध हिटलर ने क़दम बढ़ाया। पुलिस ने गोली चलाई। एक गोली गोरिग् के भी लगी। हिटलर को सरकार ने जेल में भेज दिया। गोरिग् को आस्ट्रेलिया भेज दिया गया।

सन् १९२६ मे राजबंदियों को मुक्त किया गया। हिटलर भी छोड़ दिया गया। सन् १९२७ मे गोरिग् फिर जर्मनी आगया और नात्सी तूफानी फौज (Storm Troops) का संगठन किया। सन् १९२८ मे राइख़ताग का सदस्य चुना गया तथा उसका अध्यक्ष बनाया गया। १९३१ ई० मे पहली पत्नी के मर जाने पर, १९३५ ई० मे, ऐमी सोनमैन नामक नटी से विवाह किया। सन् १९३३ मे गोरिग् प्रधान मंत्री तथा स्वदेश विभाग का मंत्री नियुक्त किया गया। इस पद पर नियुक्त होते ही उसने अपने विरोधियो, नात्सी-दल के विरोधियो, साम्यवादियो तथा यहूदियो को सार्वजनिक वध कराया। सारे देश में नात्सी दल का प्रभुत्व स्थापित कर दिया। २७ फ़रवरी १९३३ को राइख़ताग के अग्नि-काण्ड मे गोरिंग् का भी हाथ था। इसके बाद वह जनरल तथा हवाई सेना-विभाग का मंत्री बनाया गया।

उसने थोड़े ही समय मे शक्तिशाली हवाई सेना का संगठन कर दिखाया। इसके बाद वह चातुर्वर्षीय योजना का कमिश्नर नियुक्त किया गया। यह योजना बनाई गई कि चार वर्षों में जर्मनी के उद्योग-धन्धे इतने उन्नत होजायॅ कि वह स्वाश्रयी बन जाय। इससे डा० शाख्त का प्रभाव घट गया। डा० शाख्त अर्थमंत्री थे। फरवरी १९३८ मे गोरिग् को फ़ील्ड मार्शल का पद मिला। १९३८ मे जर्मनी से यहूदियो का निष्कासन कराने में गोरिग् का बहुत हाथ था।
जनवरी १९३९ में आर्थिक कमिटी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। सन् १९३९ के अगस्त में वह युद्व-मंत्रि-मण्डल का सदस्य नियुक्त किया गया और १ सितम्बर १९३९ को हिटलर ने उसे अपना उत्तराधिकारी नामज़्द किया। 'मक्खन नही बन्दूक़' का नारा

इसने बुलन्द किया और इस प्रकार जर्मन जाति को जीवनोपयोगी वस्तुओं की मितव्ययिता का पाठ पढ़ाकर बचत को हथियारो में लगवा दिया। गोरिंग् शान-शौकत और विलासिता-पूर्ण जीवन के लिए मशहूर है।