अंतर्राष्ट्रीय ज्ञानकोश/गान्धीवाद
गान्धीवाद--महात्मा गान्धी के सिद्धान्तो के लिए आज गान्धीवाद शब्द प्रचलित है। गान्धीवाद आव्यत्मिक होते हुए भी आधुनिक भारत का एक राजनीतिक सिद्धान्त है। गान्धीजी का यह 'वाद' आहिंसा के आधार पर स्थिर है। आहिंसा उसका मेरुदण्ड है। सदैव शान्तिमय साधनो पर ही वह ज़ोर देता है। सघर्ष को वह पसंद नही करता। सम्सत समस्याओं--सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक--को वह सहयोग तथ सामंजस्य के सिद्धांत के आधार पर हल करना चाहता है। गान्धीवाद का साधन अहिंसा और लक्ष्य सर्वोदय है। वह मानव-मात्र का हिताकाक्षी है, और उसके लिए वह सामाज मे प्रचलित वर्गों तथा सम्प्रदायो मे परस्पर सहयोग चाहता है। गान्धीवाद प्रत्येक देश की स्वाधीनता का समर्थक है और साथ ही वह अन्तर्राष्ट्रीयता का समर्थन करता है। परन्तु वह कार्लमार्क्स के वैज्ञानिक समाजवाद का विरोधी है। गान्धीवाद आर्थिक सम्स्या के हल के लिए, सामूहिक उद्योगवाद के स्थान पर वैयक्तिक उद्योग चरखा, खादी, ग्रामोद्योग तथा घरेलू-धन्धो के सगठन तथा प्रोत्साहन पर अधिक ज़ोर देता है। वह ज़मीनदारी प्राथा का नाश नहीं चाहता, और न देशी राज्यो तथा नरेशो का निष्कासन ही उसे पसंद है, किन्तु वह इन सत्ताधारयों को जनता के संरक्षक
(trustee) के रूप में और इनकी सम्पत्ति को जनता की धरोहर की भॉति
व्यवहृत देखना चाहता है। गान्धीवाद त्याग, तपस्या, कष्ट-सहन तथा ब्रह्मचर्य आदि के पालन पर विशेष ज़ोर देता है। इसलिए उसकी प्रवृत्ति भोगवादी
नहीं है। समाज-सुधार का वह समर्थक है। परन्तु वह उसका समर्थन वहीं
तक करता है जहाँ तक उसका सदाचार तथा नैतिकता से संघर्ष नहीं होता।
इसी आधार पर गान्धीवाद सन्तान-निग्रह के कृत्रिम साधनों का विरोधी हैं। संक्षेप में गान्धीवाद शुद्ध हिन्दुत्व का प्रतिरूप है।