अंतर्राष्ट्रीय ज्ञानकोश/क्रोपाटकिन

अन्तर्राष्ट्रीय ज्ञानकोश
रामनारायण यादवेंदु

पृष्ठ ९२ से – ९३ तक

 

क्रोपाटकिन--इनका पूरा नाम प्रिस पीटर क्रोपाटकिन है। जन्म सन् १८४२ मे हुआ। यह रूस के प्रसिद्ध भूगोल-विज्ञान-वेत्ता थे। इन्होने साम्यवादी अराजकतावाद’ सिद्धान्त का विकास किया। जब इन्होने यह अनुभव
किया कि अराजकतावादी व्यवस्था की स्थापना में बड़े-बड़े उद्योग-धन्धों से बाधा पडती है, तब इन्होने बड़े-बड़े उद्योगो को मिटाकर उनकी जगह हाथ की दस्तकारी के प्रचार की सिफारिश की। इनके अनुसार छोटे-छोटे मानव-समूहो के हाथ में सामान्य सम्पत्ति दे दी जाय और वे अपने सदस्यों के जीवन-यापन के लिये आवश्यक वस्तुओं का निर्माण करे, और इस प्रकार स्वाश्रयी बन जाएं। श्रम-विभाजन को वह सबसे बड़ी बुराई मानते थे। इनके मतानुसार काम के घण्टे एक दिन मे चार-पाँच से ज़्यादा न होने चाहिये। कोई नियत वेतन भी न होना चाहिये, प्रत्युत् प्रत्येक व्यक्ति को, उसकी आवश्यकतानुसार, वेतन दिया जाय। प्रारम्भिक काल में यह बड़े क्रान्तिकारी थे, परन्तु बाद में सन् १८८६ से लन्दन में रहे और इनके विचारो मे नरमी आगई। विश्व-युद्ध (१९१४-१८) में इन्होने मित्र-राष्ट्रो का समर्थन किया। मार्च १९१७ की रूसी राज्य-क्रान्ति के बाद रूस में वापस आगये। जब साम्यवादियो की विजय हो गई तब प्रिंस क्रोपाटकिन ने मज़दूरो के अधिनायक-तन्त्र (डिक्टेटरशिप) का विरोध किया। सन् १९२१ में रूस में इनका देहान्त होगया।