अंतर्राष्ट्रीय ज्ञानकोश/इब्न सऊद
इब्न सऊद--सऊदी अरब के बादशाह। सन् १८८० मे अरब के एक वहाबी कुल मे इनका जन्म हुआ। इनके पूर्वज इर्रियाद के शासक थे। प्रतिद्वंद्वी एक रशीदी वश उठ खड़ा हुआ, जिसने इनका शासन छीन लिया। हुकूमत की इसी गड़बड़ मे, बाल्यावस्था में, इन्हें निर्वासित होना पड़ा। दक्षिणी अरब में पालन-पोषण हुआ। सन् १९०१ मे केवल २०० सेना लेकर इब्न सऊद ने अपने पूर्वजो की रजधानी पर हमला किया और रशीदी-वंश के शासक को मार भगाया। सन् १९१३ में तुर्को को पूर्वी अरब से भी निकाल बाहर किया जो रशीदी-वश के हिमायती थे। विगत विश्व-यद्ध में इनकी सहानुभूति ब्रिटेन के साथ थी, परन्तु सहायता नही दी। सन् १९१८ में इनकी लडाई हेजाज़ के बादशाह हुसैन से छिड़ गई। ब्रिटेन ने हुसैन ही मदद की। अँगरेज़ो की चेतावनी के बावजूद इन्होने हुसैन की सेनाओ पर, सन् १९१९ में, आक्रमण किया और उन्हे पराजित किया। अब सऊद ने अपने राज्य-विस्तार के लिये हेजाज़ की विजय का प्रयत्न किया। २४ दिसम्बर १९२४ को मक्का पर अपना आधिपत्य जमा लिया। बादशाह हुसैन राज्य त्याग कर भाग गया। ८ जनवरी १९२६ को इब्न सऊद ने अपने को हेजाज़ का बादशाह घोषित किया।
सन् १९२७ में इन्होने सुल्तान की पदवी त्यागकर "नज्द के बादशाह" का पद ग्रहण किया। जद्दा में ब्रिटिश सरकार और सऊद के बीच संधि हुई। सन् १९३२ में हेजाज़ और नज्द सयुक्त बना दिये गये और इनका नाम सऊदी अरब रखा गया।
आज के मुस्लिम-जगत् में इब्न सऊद सबसे अधिक सम्पन्न और प्रभावशाली व्यक्ति है। इसने अरब में केन्द्रीय शासन को सुनियंत्रित और सुव्यवस्थित ही नही बनाया प्रत्युत् शान्ति और व्यवस्था भी स्थापित की है।
इब्न सऊद वहाबी-सम्प्रदाय का प्रमुख है। यह बड़ा कट्टरपंथी समुदाय है। इसलिये वह बड़ी सतर्कता से अपने राज्य में आधुनिकता का प्रसार कर रहा है। सेनाऍ आधुनिक ढंग की बना दी गई हैं। इसका लक्ष्य अखिल-अरब का संगठन करके स्वयं उसका ख़लीफा बनना है। ब्रिटेन के साथ उसका मित्रता का संबंध है। इसका पूरा नाम अब्दुल अज़ीज़ इब्न अब्दुरर्हमान अल्फैजलुस्सऊद है। इब्न सऊद क़ौम और कबीले का क़ायल नहीं, वह राष्ट्रीयता का पोषक है।