अन्तर्राष्ट्रीय ज्ञानकोश  (1943) 
द्वारा रामनारायण यादवेंदु

[ ५३ ] इटली--क्षेत्रफल १,१९,७०० वर्गमील, जनसंख्या ४,४०,००,००० है। नाम-मात्र के लिये इटली में बादशाह विक्टर इमान्युल का राज्य है; परन्तु वस्तुत: मुसोलिनी और उसके फासिस्ट दल का अधिनायक-तन्त्र वहाँ चालू है। सन् १९२६ में इटली की पार्लमेंट वास्तव में फासिस्ट बन गई। सन् १९३४ में इसने अपने समस्त अधिकार कारपोरेशन की राष्ट्रीय कौंसिल को सौंप दिये और अक्टूबर १९३८ में पार्लमेंट का अन्त हो गया। इसके स्थान [ ५४ ]
पर आजकल 'फैसी(Fasci) और कारपोरेशनो का चेम्बर'कार्य करता है। इसकी सदस्य सख्या ८०० है। सरकार को आदेश जारी करने का अधिकार है जो बाद में चेम्बर के सामने पेश कर दिए जाते हैं। चेम्बर सिर्फ वैधानिक क़ानूनो, सामान्य ढंग के कानूनो और बजट, आदि स्वीकार करता है। अन्य प्रकार के सभी मामलों पर सरकार के प्रमुख मुसोलिनी की आज्ञा से ही चेम्बर विचार कर सकता है। शासन करनेवाली मुख्य संस्था 'फैसिस्ट महान् कौसिल' है। प्रत्येक वैधानिक प्रश्न, राज-उत्तराधिकार के प्रश्न तथा धर्म और राज्य के संबंधों के विषय में उपर्युक्त कोसिल ही निश्चय करती है। प्रत्येक व्यवसाय का एक कारपोरेशन है, जो अपने प्रतिनिधि कारपोरेशनो की राष्ट्रीय-कौसिल में भेजता है। राष्ट्रीय कौसिल आर्थिक क़ानून बना सकती है। इनमें मज़दूरो तथा मालिको दोनो का प्रतिनिधित्व होता है।

सन् १९३८ में जर्मनी के आग्रह से इटली ने भी यहूदियो के विरुद्ध क़ानून बनाये। परन्तु वे इतने सख्त नही हैं जितने कि जर्मनी में हैं। मुसोलिनी ने आगे लिखे देशो को हड़प कर इटालियन-साम्राज्य की स्थापना गर्वपूर्वक की थी--(१) इटालियन पूर्वी अफ्रीका--इसमे अबीसीनिया, इरीट्रिया और इटालियन शुमालीलैण्ड शामिल है। इसका कुल क्षेत्रफल ६,६०,००० वर्गमील और जनसख्या १,५०,००,००० है। (२) इटालियन उत्तरी अफ्रीका (लीबिया)--इसका क्षेत्रफल ६,८५,००० वर्गमील और जनसख्या ७,००,००० है। लीबिया की भूमि अधिकाश मरुस्थल है। (३) अलबानिया।

लेकिन अब इटली का साम्राज्य छिन्न-भिन्न हो रहा है। पूर्वी अफ्रीका के अबीसीनिया और इरीट्रिया पर ब्रिटेन की फौजो का अधिकार है। लीबिया में दो वर्ष तक घनघोर युद्ध के बाद, जर्मन-सेनाओ की सहायता से, इटली की विजय हो पाई है। इन देशो की भाँति मुसोलिनी ने १९३९ ई० मे अलबानिया को हड़पा था, किन्तु उस पर अब यूनान का अघिकार है। यूनान यद्यपि जर्मनी द्वारा पराजित हो चुका है।

इटालियन सेना ५०,००,००० है। वह आधुनिक युद्धास्त्रो से सज्जित और युद्ध-कला मे निपुण है। वायुयान २००० है। [ ५५ ]
इटालियन नौ-सेना में ४ युद्ध-पोत, २२ क्रूज़र, ५६ ध्वंसक, ७२ टारपीडो बोट और १०५ पनडुब्बियॉ हैं। अधिकांश जहाज़ आधुनिक ढंग के हैं। पराजित होते जाने पर भी भूमध्यसागर में इटली अपनी सामरिक स्थिति पर बहुत घमण्ड रखता है।

इटली की भूमि में कोयला और लोहा बिलकुल नहीं है। उसके उद्योग-व्यवसाय आयात पर निर्भर हैं। ४० लाख इटालियन विदेशों में बसे हैं। अधिकांश अमरीका में हैं। इटली का व्यापारिक संबंध विशेषतः जर्मनी, सयुक्त राज्य अमरीका, ब्रिटेन और स्विट्ज़रलैण्ड से रहा है। इटली के अफ्रीकन साम्राज्य मे ३०,००० से अधिक इटालिन नहीं हैं। इटली और जर्मनी मे घनिष्ट मित्रता है और वर्तमान युद्ध मे यह दोनों राष्ट्र मिलकर ब्रिटेन आदि मित्रराष्ट्रों से युद्ध कर रहे हैं। इटली का बलकान राष्ट्रो में हित है। जर्मनी अपनी सेनाएँ भेजकर उसकी मदद कर रहा है।

४ अगस्त १९४० को इटली की सेनाओं ने ब्रिटिश शुमालीलैण्ड पर आक्रमण किया था। १९ अगस्त १९४० को अँगरेज़ी सेनाएँ वहाँ से हटा लीगई। इस तरह इटली का इस प्रदेश पर अधिकार होगया।

९ दिसम्बर १९४० को मित्र-राष्ट्रो की अफ्रीका-स्थित सेनाओं ने सिद्दी वरानी में आगे बढ़ी हुई इटली की सेनाओं पर हमला किया। दो दिन बाद इस स्थान पर अँगरेज़ों का अधिकार होगया। इस युद्ध में भारतीय सैनिकों ने अभूतपूर्व वीरता का परिचय दिया। प्रायः ६००० इटालियन बन्दी बनाये गये। अँगरेज़ी सेनाएँ पश्चिम की ओर बढ़ीं और उन्होंने, १७ दिसम्बर १९४० को, सोलुम, कोपुज्ज़ो तथा लीबिया के तीन अन्य सैनिक स्थानों को ले लिया। इसके बाद वे वार्डिया तथा डूर्ना की ओर बढी। ३ जनवरी १९४१ को अँगरेज़ों का वार्डिया पर अधिकार होगया। तदनन्तर वे तुवरुक की ओर बढ़े। फर्वरी १९४१ के प्रथम सप्ताह में साइरीन तथा वेनग़ाज़ी पर ब्रिटिश सेनाओं का अधिकार होगया। इसके बाद ब्रिटिश सेनाओं ने इरीट्रिया, इटालियन शुमालीलैण्ड तथा अवीसीनिया पर आक्रमण करना प्रारम्भ कर दिया। अँगरेज़ो की इस प्रकार विजय पर विजय हो रही थी कि सहसा ४ अप्रैल को नाज़ी सेना ने वेनग़ाज़ी पर आक्रमण कर दिया। वहॉ से अँगरेज़ी
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फौजो को हट जाना पड़ा।

२८ अक्टूबर १९४० को इटली ने

यूनान पर भी हमला कर दिया। आरम्भ में उसकी सेनाएँ अलबानिया में होकर यूनान तक पहुँच गई परंतु बाद में यूनानी सेनाओं ने, अँगरेजी सेना की मदद से, इटली की सेनाओं को खदेड़कर बाहर कर दिया। बाद में जर्मन सेनाओं ने यूगोस्लाविया तथा यूनान पर आक्रमण कर दिया। इसमे जर्मनी का इन दोनो देशो पर अधिकार होगया।