अंतर्राष्ट्रीय ज्ञानकोश/अरविन्द घोष

अन्तर्राष्ट्रीय ज्ञानकोश
रामनारायण यादवेंदु

पृष्ठ ३० से – ३१ तक

 

अरविन्द घोष--आपका जन्म कलकत्ता मे १५ अगस्त सन् १८७२ को हुआ। दार्जिलिंग तथा इँगलैण्ड मे अपने शिक्षा प्राप्त की। सन् १८९० में इडियन सिविल सर्विस की परीक्षा में शामिल हुए। प्रतियोगिता में सफल रहे, परन्तु घुड़सवारी में असफल। किग्स-कॉलिज, कैम्ब्रिज, में भरती हुए और ग्रेजुएट हुए। सन् १८९२ मे वी० ए० की पदवी प्राप्त की। १२ वषों तक बड़ोदा राज्य मे उच्च पदाधिकारी रहे। सन् १९०६ मे आप नेशनल कालिज कलकत्ता

के प्रिंसिपल नियुक्त किये गये। 'वन्देमातरम्' तथा 'युगान्तर' बँगला पत्रो का सम्पादन किया। सन् १९०७ मे बङ्गभङ्ग से उत्पन्न हुए राष्ट्रीय आन्दोलन मे प्रमुख भाग लिया। सन् १९०८ मे विद्रोह करने तथा राजद्रोह के अभियोग में गिरफ्तार हुए, किन्तु निर्दोष सिद्ध हुए और छोड़ दिये गये। इसके बाद पांडिचेरी चले गये और वहाँ योग-आश्रम की स्थापना की। आप निरन्तर एकान्त में इतने वर्षों से समाधि लगाते रहे है। वर्ष में केवल तीन बार वह दर्शनार्थियों से अपनी कुटी मे मिलते हैं। वह केवल आशीर्वाद दे देते है। किसी दर्शनार्थी या साधक से, जो उनके आश्रम में रहता है, वह वार्ता-लाप नही करते। केवल माताजी से ही बातचीत करते है। वह एक विदेशी महिला है जो आश्रम का संचालन करती हैं। आपने योग, दर्शन, अध्यात्म तथा गीता पर अनेक विचारपूर्ण ग्रन्थ लिखे है।