अंतर्राष्ट्रीय ज्ञानकोश/अमरीकन मज़दूर संघ

अन्तर्राष्ट्रीय ज्ञानकोश  (1943) 
द्वारा रामनारायण यादवेंदु

[ २६ ] अमरीकन मज़दूर संघ-- यह अमरीका तथा कनाडा की मज़दूर-संस्था है। इसका केन्द्र वाशिंगटन में है। सेम्युअल गोम्पर्स के प्रयत्न से, सन् १८८१
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में, इस संघ की स्थापना हुई थी। गोम्पर्स न्यूयार्क नगर का एक सिगरेट बनानेवाला था। सन १८७७ मे इसने न्यूयार्क के सिगरेट बनानेवालो का संगठन किया। इस संघ के सिद्वान्त यह है--समस्त उत्तरी अमरीका में प्रत्येक व्यापार के लिए एक मजदूर संघ हो, दो संघ न होने चाहिए। इस संघ के मज़दूर व्यक्तित्व रूप से सदस्य नहीं है, प्रत्युत् मज़दूर-यूनियन इसकी सदस्य है। इस संघ मे १०० स्थानीय मज़दूर यूनियन शामिल है। पूर्ण सत्ता इन मज़दूर सभाओ के हाथ मे है। हड़ताल आदि करने का निश्चय भी वे ही करती है। अमरीकन मज़दूर-संघ के अधिकार नैतिक हैं और उसके अधिकार केवल सलाह देते है। इसकी एक कार्य-कारिणी सभा है, जिसका ४९ राज्यो के मज़दूर संघो पर प्रभाव है। ओटावा में कनाडा की एक स्वतत्र कनाडियन कांग्रेस भी है।

अमरीकन मज़दूर-संघ का अधिवेशन प्रति वर्ष एक बार होता है। सन् १९२० मे जो मज़दूर सभाऍ इस सघ की सदस्य थी, उनके कुल सदस्य ४०,००,००० थे। सन् १९३३ मे यह सख्या २१,००,००० रह गई। सन् १९३८ में ३३,००,००० होगई। इस संघ ने अमरीका के १५ फीसदी से अधिक मज़दूरों का संगठन नही किया है।

अमरीका के मज़दूरों मे, यूरोपीय मज़दूरों की भाँति, वर्ग-चेतना का जागरण नही हुआ है। मिल-मालिक सरकारी सहायता से इनके आन्दोलन को दबाने का सदैव प्रयत्न करते है। मज़दूर-सभाऍ मिल-मालिको, से मज़दूरों के हितो की रक्षा के लिए सामूहिक समझौते करती है। वे उनसे यह कहती हैं कि मिलो मे सिर्फ मज़दूर-सभाओं के मज़दूरों को ही रखा जाय। जो मिल-मालिक मज़दूर सभाओं को स्वीकार कर लेते है उनसे मज़दूर-सभाऍ यह अनुरोध करती है कि उनके द्वारा तैयार माल पर मज़दूर सभा की छाप (यूनियन लेबिल) लगाया जाय। मज़दूर-सभाओं के सदस्यो को भी यह कहा जाता है कि वे माल ख़रीदते समय ऐसे लेबिल के माल को ही ख़रीदे।

अमरीकन मज़दूर संघ यूरोपियन मज़दूर-सघो से कई बातो मे भिन्न है। यह संघ समाजवाद-विरोधी है तथा राजनीति से पृथक् रहता है। वह अमरीकन मज़दूर-दल बनाना नही चाहता। वह अपना उद्देश्य, पूँजीवादी-व्यवस्था के
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अन्तर्गत रहते हुए, मजदूरो का सुधार करना मानता है। पहले वह समझौते से काम लेता है, और जरूरत पड़ने पर मालिको से संघर्ष भी किया जाता है। इस संघ का संस्थापक सेम्युअल गोम्पर्स अपनी मृत्यु (सन् १९२४) पर्यन्त इसका अध्यक्ष रहा। तब से विलियम ग्रीन इसका अध्यक्ष है। इस संघ के अन्तर्गत मजदूर-सभाओ के सदस्य दक्ष मजदूर ही होते है। इसका अमरीका मे काफी प्रभाव है। सन् १९३६ में 'औद्योगिक संगठन-कारिणी समिति' नामक एक दूसरी मजदूर-सस्था की स्थापना की गई। इस सस्था ने अल्पकाल मे ही आश्चर्यजनक उन्नति कर दिखलाई। सन् १९३८ मे इसके ४०,००,००० सदस्य थे। ससार-व्यापी द्वितीय महायुद्ध के समय, जब अमरीका भी लडाकू राष्ट्रों मे सम्मिलित होगया, यहाँ के हथियार बनानेवाले कारखानों मे, सन् १९४१ मे, कई बार हडताले हुई। मजदूरो ने वेतन-वृद्धि की माँग की। रूजवेल्ट ने खुद इन हडतालो मे बल-प्रयोग किया, क्योकि वह अमरीका का सेनापित भी है। कारखाने कई दिनो तक फोजी-सरक्षण मे चलाने पडे। अंत मे मजदूरो की माँगे स्वीकार करली गई।